पहले भी लग चुका झटका ! दैनिक भास्कर समूह अडाणी ग्रुप को 7 हजार करोड़ में बेचने वाला था DB पॉवर, पत्रकारों के प्रयास पर लेबर कोर्ट ने लगा दी थी डील पर रोक

मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन नहीं दिए जाने पर इंदौर के पत्रकारों तरुण भागवत और अरविंद तिवारी ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को चटाई थी धूल। इनके प्रयासों के चलते लेबर कोर्ट ने भास्कर समूह द्वारा डीबी पॉवर कंपनी 7 हजार करोड़ में अडाणी ग्रुप को बेचने पर रोक लगाई थी।

पहले भी लग चुका झटका ! दैनिक भास्कर समूह अडाणी ग्रुप को 7 हजार करोड़ में बेचने वाला था DB पॉवर, पत्रकारों के प्रयास पर लेबर कोर्ट ने लगा दी थी डील पर रोक
इंदौर के पत्रकारों के कारण लगी थी डीबी पॉवर और अडानी ग्रुप के बीच हुई डील पर रोक।

इंदौर के पत्रकार तरुण भागवत और अरविंद तिवारी के प्रयासों को मिली थी सफलता

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । दैनिक भास्कर समूह को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के हालिया आदेश से पहले इंदौर के कर्मचारी भी बड़ा झटका दे चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अपने पत्रकारों व कर्मचारियों से मजदूरों से भी दोयम दर्जे का व्यवहार करते हुए उनका हक मारने वाले दैनिक भास्कर अखबार प्रबंधन को इंदौर संस्करण के दो पत्रकार धूल चटा चुके हैं। उनके प्रयासों के चलते ही लेबर कोर्ट ने दैनिक भास्कर समूह द्वारा अपनी डीबी पॉवर कंपनी को 7 हजार करोड़ में अडाणी ग्रुप को बेचने पर रोक लगा दी थी।

अन्य मीडिया संस्थानों की ही तरह दैनिक भास्कर समाचार पत्र के अनेक कर्मचारी भी मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपने बकाया वेतन के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इसमें इंदौर संस्करण के पत्रकार भी शामिल हैं। मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन नहीं देने पर इंदौर संस्करण के पत्रकारों तरुण भागवत और अरविंद तिवारी ने भी समूह की हर आर्थिक गतिविधि पर नजर रखी। इसी दौरान पत्रकारद्वय को पता चला कि भास्कर समूह द्वारा अपने डीबी पॉवर को 7 हजार करोड़ रुपए में अडाणी ग्रुप को बेचने की तैयारी कर रहा है। जानकारी के अनुसार डील पक्की हो चुकी थी।

2014 से कर रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना

दैनिक भास्कर सहित अन्य मीडिया संस्थानों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की साल 2014 से जानबूझकर लगातार अवमानना की जा रही है। मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन का भुगतान नहीं करने पर पत्रकार भागवत और तिवारी ने लेबर कोर्ट से उक्त डील रद्द करने का आग्रह किया। इसमें सफलता मिली और लेबर कोर्ट ने भास्कर समूह द्वारा अडाणी ग्रुप को डीबी पावर कंपनी बेचने की डील पर रोक लगा दी।

पिटीशन में लेबर कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल

7 हजार करोड़ की डील पर रोक लगने से भास्कर समूह ने पत्रकारों की कैविएट दायर होने के बावजूद हाई कोर्ट में झूठे कथन देकर कर हाई कोर्ट को गुमराह कर लेबर कोर्ट के स्टे पर अस्थायी स्टे ले हासिल कर लिया। बता दें कि, भास्कर समूह ने ऐसा उन पत्रकारों के साथ किया जो अपनी कलम से दैनिक भास्कर अखबार में रोजाना ऐसे ही कारनामों की बखिया उघाड़ते थे। दैनिक भास्कर ने पत्रकारों के हक में आदेश होना इतना नागवार गुजरा कि उसने हाईकोर्ट में दायर की गई अपनी पिटीशन में लेबर कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ अमर्यादित भाषा तक का इस्तेमाल किया।

पत्रकार खुद कर रहे अपनी पैरवी, आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की गुहार लगाई

मामले में पत्रकारों ने स्वयं पैरवी करते हुए भास्कर समूह के न सिर्फ मालिकों पर हाई कोर्ट को गुमराह करने व शपथ-पत्र पर झूठे कथन प्रस्तुत करने की शिकायत की अपितु इसके लिए प्रबंधन के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की गुहार भी लगाई। इन पत्रकारों की मानें तो दैनिक भास्कर समूह के कर्ताधर्ताओं का यह कृत्य आईपीसी के तहत दण्डनीय अपराध है। इसमें दोष सिद्ध होने पर 7 साल तक की जेल और कड़ा आर्थिक जुर्माना, दोनों हो सकता है।

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