बड़ी खबर ! युवती ने फर्जी अंकसूची लगाकर हथिया ली स्वास्थ्य विभाग में नौकरी, सत्यापन में खुली पोल तो हो गई 10 साल की सजा

रतलाम के सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश ने फर्जी अंकसूची लगाकर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी प्राप्त करने वाली युवती को 10 वर्ष तक की सजा सुनाई है।

बड़ी खबर ! युवती ने फर्जी अंकसूची लगाकर हथिया ली स्वास्थ्य विभाग में नौकरी, सत्यापन में खुली पोल तो हो गई 10 साल की सजा
फर्जी अंकसूचि लगाकर नौकरी हथियाने वाली महिला को न्यायालय ने सुनाई सजा।
  • माता की जगह अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त की थी

  • वाणिज्य की अंकसूची को विज्ञान की बना दिया था

  • डार्करूम असिस्टेंट के रूप में मिली थी नियुक्ति

  • शिक्षा मंडल से सत्यापन नहीं होने से खुली पोल

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिले के स्वास्थ्य विभाग में फर्जी अंकसूची प्रस्तुत कर नौकरी हथियाने का मामला सामने आया है। इस धोखाधड़ी के लिए सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव ने एक युवती को दो धाराओं में 7-7 वर्ष और एक धारा में 10 साल की सजा से दंडित किया है। अभियुक्त पर अर्थदंड भी किया गया है।  

अपर लोक अभियोजक समरथ पाटीदार ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय जिला रतलाम की अधीनस्थ संस्था जिला चिकित्सालय द्वारा दिनांक 24.03.2017 को स्टेशन रोड थाना प्रभारी को एक आवेदन भेजा गया था। इसमें बताया गया था कि सुनन्दा शाह नामक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता उप. स्वास्थ्य केन्द्र प्रीतम नगर (बिलपांक) में कार्यरत थी। शासकीय सेवा में रहते हुए 13.06.2014 को उनकी मृत्यु हो गई थी। अतः सुनन्दा शाह की पुत्री श्वेता शाह ने अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिए कलेक्टर को आवेदन प्रस्तुत किया था।

प्रभारी मंत्री और संयुक्त कलेक्टर ने भी लिखे पत्र

उक्त आवेदन के आधार पर संयुक्त कलेक्टर ने 08.07.2014 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भेजा गया था। इसी प्रकार रतलाम के तत्कालीन प्रभारी मंत्री एवं स्कूल शिक्षा मंत्री का एक पत्र भी 23.08.14 को मिला था। इनमें श्वेता शाह की अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में दिशा-निर्देश दिए गए थे। इन पत्रों के साथ संलग्न दस्तावेजों में श्वेता द्वारा माता सुनन्दा पति गिरीश शाह का मृत्यु प्रमाण-पत्र, 2000 में उत्तीर्ण हाई स्कूल, 2002 में उत्तीर्ण हायर सेकण्डरी (जीव विज्ञान, रसायन एवं भौतिकी विषय) तथा बी.कॉम. फाइनल की अंकसूचियां संलग्न थीं।

डार्करूम असिस्टेंट पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की

उपरोक्त आवेदन के संदर्भ में संबंधित शाखा के कर्मचारी द्वारा 13.08.2014 तत्कालीन सीएमएचओ को उचित आदेश प्रदान करने के लिए नोटशीट प्रस्तुत की गई। सीएमएचओ ने स्थानीय कार्यालय के प्रशासकीय अधिकारी को टीप देने के लिए निर्देशित किया गया। प्रशासकीय अधिकारी ने बताया कि सहायक वर्ग-3 का पद रिक्त नहीं होने से ड्रेसर के पद पर नियुक्ति दी जा सकती है। इसके लिए शैक्षणिक योग्यता 10+2 शिक्षा पद्धति में 10वीं परीक्षा उत्तीर्ण (जीव विज्ञान, रसायन एवं भौतिकी) तथा ड्रेसर का तीन माह का प्रशिक्षण उत्तीर्ण होना आवश्यक है। आवेदक ने प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है। अतः नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जा सकता है। प्रशासकीय अधिकारी के अनुसार श्वेता जीव विज्ञान, रसायन और भौतिकी विषय के साथ 12वीं उत्तीर्ण है अतः उन्हें डार्करूम असिस्टेंट के पद पर अनुकंपा नियुक्ति देने के पर विचार किया जा सकता है।

सीएमएचओ ने अनुशंसा के आधार पर जारी कर दिया नियुक्ति का आदेश

त्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने प्रशासकीय अधिकारी की अनुशंसा के अभिमत के आधार पर 12.09.2014 को श्वेता शाह का डार्करूम असिस्टेंट के पद पर अनुकंपा नियुक्ति देने के निर्देश जारी कर दिए। 16.09.2014 को श्वेता की नियुक्ति उक्त पद पर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि पर अस्थाई (तृतीय श्रेणी) हो गई। इसके चलते श्वेता ने 18.09.2014 को जिला चिकित्सालय रतलाम में डार्करूम असिस्टेंट के पद के विरुद्ध मय दस्तावेज के उपस्थिति दर्ज कराई।

यह भी देखें... स्वास्थ्य विभाग की काली और उजली तस्वीर ! कहीं रुपए नहीं मिलने पर नर्स ने प्रसूता व नवजात को भगाया, कहीं डॉक्टर ने घर जाकर प्रसव करा 2 जान बचाई

यहां पकड़ी गई चोरी

डार्करूम असिस्टेंट पद के लिए नियुक्ति के लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यता 12वीं की अंकसूची के सत्पायन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा संभागीय कार्यालय माध्यमिक शिक्षा मंडल चिमन बाग इंदौर को 13.10.2016 को पत्र प्रस्तुत किया गया। जहां से 21.11.2016 को जारी पत्र में बताया गया कि श्वेता पिता गिरीश शाह की हाई सेकण्डरी 2002 की अंकसूची की छायाप्रति और मंडल में उपलब्ध रिकॉर्ड में अंतर है। इस कारण सत्यापन करना संभव नहीं है। इस आधार पर श्वेता को 12वीं की मूल अंकसूची प्रस्तुत करने के लिए 28.11.2016 को श्वेता शाह को पत्र जारी किया गया। इसके परिपालन में श्वेता द्वारा 25.02.2017 को सिविल सर्जन कार्यालय में 12वीं और बी. कॉम. फाइनल की मूल अंकसूचियां प्रस्तुत की गईं।

आवेदन में विज्ञान संकाय की अंकसूची, मूल में वाणिज्य संकाय

अपर लोक अभियोजक के अनुसार श्वेता शाह ने नियुक्ति के लिए दिए आवेदन में विज्ञान संकाय मं 12वीं की अंक सूची प्रस्तुत की थी जिसमें फिजिक्स, केमेस्ट्री एवं बॉयलॉजी विषय अंकित थे। परंतु जब मूल अंकसूची प्रस्तुत की गई तो वह विज्ञान की न होकर वाणिज्य संकाय की पाई गई। इससे साफ हो गया कि श्वेता ने विभाग को गुमराह कर नियुक्ति प्राप्त की है। इस धोखाधड़ी के लिए आरोपी श्वेता शाह के विरुद्ध स्टेशन रोड थाने पर अपराध क्रमांक 186/17, अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 409 भादंसं का केस दर्ज किया गया था।

यह भी देखें... सावधान ! ये डॉक्टर और अस्पताल फर्जी हैं... लाइसेंस मेडिकल स्टोर का और कर रहे थे मरीजों का इलाज, डॉक्टर होने का प्रमाण भी नहीं दे सके

न्यायालय में इनके हुए बयान

मामले की जांच के दौरान पुलिस द्वारा साक्षी अजय, जयकुमार, डॉ. आनन्द चंदेलकर (सिविल सर्जन रतलाम), डॉ. पुष्पेन्द्र शर्मा, संदीप कुमार, वंदना खरे (संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं विभाग उज्जैन), डॉ. दिनेश भूरिया (एम.एस. जिला अस्पताल रतलाम) के बयान लिए गए। जांच पूरी कर पुलिस की ओर से न्यायालय में चालन प्रस्तुत किया गया। इस पर सुनवाई करते हुए सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव ने सभी दस्तावेजों और बयानों के आधार पर आरोपी श्वेता शाह के विरुद्ध दोष सिद्ध पाया। इसके लिए न्यायालय ने श्वेता शाह पति गिरीश शर्मा निवासी पत्रकार कॉलोनी रतलाम को भादंसं की धारा 420 में 07 वर्ष, धारा 467 में 10 वर्ष और धारा 468 में 07 वर्ष की सजा सुनाई। इन धाराओं में पांच - पांच सौ रुपए का अर्थदंड भी किया गया है।