महर्षि दधीचि जयंती पर पर दो भाइयों ने दी देहदान की स्वीकृति, समाजसेवी गोविंद काकानी ने परिवार को बताए देहदान के फायदे

महर्षि दधीचि जयंती पर जैन समाज के दो बुजुर्ग भाइयों ने अंगदान का संकल्प पत्र भरकर अन्य भी प्रेरित करने की बात कही।

महर्षि दधीचि जयंती पर पर दो भाइयों ने दी देहदान की स्वीकृति, समाजसेवी गोविंद काकानी ने परिवार को बताए देहदान के फायदे
महर्षि दधीचि की जयंती पर जैन समाज के बुजुर्गों ने देहदान करने के संकल्प-पत्र भरे।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम में नेत्रदान और रक्तदान की ही तरह देहदान को लेकर भी काफी जागरूकता आई है। लोग अपनी देहदान के संकल्प पत्र भर ही रहे हैं, अपने परिजनों से भी भरवा रहे हैं। महर्षि दधीचि जयंती पर दो बुजुर्ग भाइयों ने भी संकल्प पत्र भरे। इस दौरान काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव समाजसेवी गोविंद काकानी ने देहदानी के परिवार को देहदान के फायदे भी बताए।

फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी द्वारा लोगों को देहदान के लिए प्रेरित किया जा राह है। उनके इस सेवाकार्य से प्रभावित होकर कस्तूरबानगर निवासी 78 वर्षीय चंद्रप्रकाश पिता सूरजमल जैन ने भी देहदान करने की इच्छा जताई। इसके लिए उन्होंने पहले अपने परिवार को मनाया। उसके बाद पुत्र सिद्धार्थ जैन के माध्यम से काकानी को कस्तूरबानगर स्थित अपने घर बुलवाया। यहां परिजन की उपस्थिति में चंद्रप्रकाश जैन ने देहदान का संकल्प पत्र भरा।

छोटे भाई को भी किया प्रेरित

चंद्रप्रकाश जैन देहदान की मुहिम से इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने 68 वर्षीय अपने छोटे भाई अशोककुमार जैन को भी देहदान के लिए प्रेरित किया। बड़े भाई की बात को छोटे भाई ने सिरोधार्य करते हुए देहदान करने का संकल्प-पत्र भर दिया। घर के दो बड़े सदस्यों द्वारा चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए अपनी देह सौंपने की इस इच्छा का आदर परिवार के बड़े सदस्यों ने तो किया ही, सबसे छोटी सदस्य (पोती) अविका ने भी समाज के लिए सकारात्मक संदेश दिया। अविका ने अपने बड़े और छोटे दादा की ही तरह खुद भी देहदान करने को लेकर सहमति जताई।

सिर्फ इतना करना होगा परिवार को

काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव काकानी जैन बंधु से संकल्प पत्र भरवाने पहुंचे तो वहां उनकी पोती अविका, पुत्र सिद्धार्थ, बहू पीनल और पुत्र प्रदीप ने स्वागत पर प्रसन्नता जाहिर की। उनकी मौजूदगी में दोनों भाइयों द्वारा संकल्प पत्र भरे जाने के बाद काकानी ने देहदान की उपयोगित परिवार को बताई। काकानी ने बताया कि देहदानी का निधन होने पर परिजन सभी जरूरी धार्मिक क्रियाएं कर सकते हैं। सिर्फ शव को अग्नि को समर्पित करने की बजाय डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय मेडिकल कॉलेज को सौंपना होगा।

ये फायदे हैं देहदान के

काकानी ने बताया कि देहदानी की पार्थिव देह का उपयोग चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थी अध्ययन के लिए उपयोग करते हैं। विद्यार्थियों को शरीर संरचना का प्रत्यक्ष ज्ञान मिलता है। नेत्र व त्वचा दान से रोगियों को जीवन मिलता है। शव जलाने से लाखों लीटर ऑक्सीजन वायुमंडल में समाप्त होती है। वहीं देहदान करने से लकड़ी की खपत और प्रदूषण कम होगा। प्रकृति का संतुलन भी सुधरेगा। काकानी के अनुसार सहमति प्रदान प्रक्रिया पूरी कर संकल्प पत्र को मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. अनीता मूथा के माध्यम से शरीर संरचना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र गुप्ता के पास जमा किया जाएगा। देहदान के इच्छुक व्यक्ति समाजसेवी काकानी से मोबइल नंबर 9329310044 पर जानकारी ले सकते हैं और देहदान कर सकते हैं।