फैसला ! 5 साल में रुपया डेढ़ गुना करने का किया वादा, लोगों ने निवेश किया तो कंपनी बंद कर भाग गए, न्यायालय ने सुनाई 7 साल की सजा, 15 हजार जुर्माना भी किया

रतलाम के द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाली कंपनी के निवेशक को 7 साल के सश्रम कारावास से दंडित किया है।

फैसला ! 5 साल में रुपया डेढ़ गुना करने का किया वादा, लोगों ने निवेश किया तो कंपनी बंद कर भाग गए, न्यायालय ने सुनाई 7 साल की सजा, 15 हजार जुर्माना भी किया
इन्वेस्टमेंट फ्रॉड करने पर बी. एन. गोल्ड के डायरेक्टर को सुनाई सजा।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बी. एन. गोल्ड के डायरेक्टर सचिन डामर को धोखाधड़ी के मामले में 7 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अभियुक्त पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया है। न्यायालय ने अभियुक्ति को लोगों से धोखे से कंपनी में निवेश करवाने और उसे हड़पने का दोषी पाया है।

अतिरिक्त लोग अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि 28 अगस्त 2016 को फरियादी कृष्ण दास ने दीनदयाल नगर थाने में लिखित आवेदन दिया था। इसमें उन्होंने बताया था कि बी. एन. गोल्ड लिमिटेड के कर्मचारी एवं अधिकारियों ने रतलाम में कंपनी की शाखा खोली। उन्होंने लोगों को रुपए जमा करने पर 5 वर्ष पश्चात निवेशित राशि डेढ़ गुना होने का लालच देकर पॉलिसियां दी थी। आरोपियों द्वारा लोगों से प्रतिमाह कंपनी में रुपए जमा कराए। 5 वर्ष बाद परिपक्वता अवधि पूर्ण होने पर जब लोग रुपए लेने बी. एन. गोल्ड लिमिटेड की स्थानीय शाखा तो अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने परिपक्वता राशि देने में टाल-मटोल की। इतना ही नहीं आरोपी अधिकारी-कर्मचारी कंपनी की शाखा बंदकर भाग भी गए।

इन धाराओं में दर्ज हुआ प्रकरण

पुलिस ने उक्त आवेदन के आधार पर कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की थी। विवेचना उपरांत आरोपी हीरालाल वैष्णव, सचिन डामोर, संदीप सराफी, आशीष गुप्ता, मनिंदर लिखारे के विरुद्ध धारा 420, 467, 120बी 34 भादंवि तथा 3/4 इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम अधिनियम के अंतर्गत न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। अन्य आरोपी गुरविंदर एवं मनीष के संबंध में धारा 173(8)के अंतर्गत विवेचना जारी रखते हुए अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय ने सचिन डामोर को माना डायरेक्टर

प्रकरण का विचारण द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में किया गया। इसमें अभियोजन द्वारा निवेशकों के साक्ष्य एवं उनके दस्तावेज तथा अन्य साक्षी के कथन में प्रस्तुत किए गए। इस पर न्यायालय द्वारा आरोपी सचिन डामर को कंपनी का डायरेक्टर मानते हुए तथा उसके द्वारा निवेशकों से प्रवंचना कर राशि प्राप्त कर परिपक्वता अवधि के पश्चात निवेशकों को नहीं लौटना पाया। न्यायालय ने माना कि आरोपी सचिन डामोर द्वारा निवेशको से बेईमानी पूर्ण आशय से सदोष अभिलाभ प्राप्त करने एवं पॉलिसी की समयावधि पूर्ण होने के पश्चात उनके द्वारा जमा की गई धनराशि निवेशकों वापस नहीं की। निवेशकों के साथ कंपनी के कारोबार के संप्रवर्तन में इनामी चिट अथवा धन परिचालन स्कीम का अवैध कारना भी प्रमाणित हुआ।

किस धारा में कितनी सजा और जुर्माना

द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश दोष सिद्ध पाए जाने पर सचिन डामर को धारा 420 भादंवि में 7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹ 10 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया। धारा 3/4 इनामी चिट एवं धन परिचालन स्कीम के अंतर्गत 3 वर्ष का कारावास एवं ₹ 5 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया। आरोपी हीरालाल, मनिंदर आशीष तथा संदीप को पर्याप्त साक्ष्य ना होने के कारण दोष मुक्त किया। अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजन संजीव सिंह चौहान ने।