स्वर कोकिला लताजी के सम्मान में दो दिन राष्ट्रीय शोक, देश के सरकारी कार्यालयों व विदेशों में भारतीय दूतावासों में आधे झुके रहेंगे राष्ट्रीय ध्वज

भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश में शोक है। केंद्र व कई राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय और राजकीय शोक घोषित किया है। कई राजनीतिज्ञों ने श्रद्धांजलि भी अर्पित की है।

स्वर कोकिला लताजी के सम्मान में दो दिन राष्ट्रीय शोक, देश के सरकारी कार्यालयों व विदेशों में भारतीय दूतावासों में आधे झुके रहेंगे राष्ट्रीय ध्वज

एसीएन टाइम्स @ डेस्क । वसंत पंचमी के अगले ही दिन मां सरस्वती की साधक स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन से पूरे देश में शोक व्याप्त है। केंद्र सरकार ने भारत रत्न लताजी के सम्मान में दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान देश में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। विदेशों में भारतीय दूतावासों में भी राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। इस दौरान कोई अधिकारिक रूप से कोई आयोजन नहीं  होगा। देश के कई राज्यों की सरकारों ने भी दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। महाराष्ट्र और बंगाल में तो सोमवार को सार्वजनिक अवकाश ही घोषित कर दिया गया है।

सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर  के निधन (Lata Mangeshkar Death) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि- देश ने अपनी आवाज खो दी है। वे देश के लिए किसी धरोहर से कम नहीं थीं। लताजी को 2001 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया था। सरकार ने लताजी के सम्मान में दो दिन के राष्ट्रीय शोक (national mourning) का ऐलान किया है।

मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि- स्वर साम्राज्ञी, परम श्रद्धेय लता मंगेशकर जी के निधन से अन्तर्मन दुख, पीड़ा, शोक से व्यथित है। देश ही नहीं, समूचे विश्व ने एक ऐसी स्वर साधिका को खो दिया, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज से जीवन में आनंद घोलने वाले असंख्य गीत दिए। लता दीदी का तपस्वी जीवन स्वर साधना का अप्रतिम अध्याय है।

शिवराज सिंह ने कहा आपका जीवन हिंदी फिल्म जगत के साथ ही भारतीय संगीत की ऐसी अद्भुत यात्रा रही, जिसने कई पीढ़ियों को मानवीय संवेदनाओं को जीवंत करते गीत-संगीत से जोड़ा। फिल्म जगत के उद्भव से अत्याधुनिक युग में प्रवेश करने तक दीदी सहयोगी से संरक्षक तक की भूमिका में रहीं। आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

मप्र के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि- लता दी सुरों का जीवंत इतिहास थीं। उनका जाना सुरों की दुनिया के साथ ही पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है।उनके जाने से अचानक जिस खालीपन का अहसास हो रहा है, वो शायद लंबे समय तक भरा नहीं जा सकेगा। 

इन्य राज्यों में भी दो-दो दिन का राजकीय शोक

लता मंगेशकर के निधन पर उत्तराखंड, राजस्थान और बिहार सरकारों ने दो-दो दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया है।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के निधन पर 6 और 7 फरवरी को 2 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। इसी प्रकार बिहार बिहार सरकार के संयुक्त सचिव ने पत्र जारी कर 6 और 7 फरवरी को राज्य में राजकीय शोक मनाने की जानकारी दी। पत्र में बताया गया है कि इस अवधि में राज्य में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा जिन पर नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। इस अवधि में राजकीय समारोह व सरकारी मनोरंजन के कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे।

महाराष्ट्र में सोमवार को सार्वजनिक अवकाश, बंगाल में आधा दिन रहेगी छुट्टी

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार (7 फरवरी) को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी उनके सम्मान में सोमवार को आधे दिन का अवकाश घोषित किया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वे मंगेशकर की आवाज से मंत्रमुग्ध थीं। मंगेशकर ने बंगाल और पूर्वी भारत के कलाकारों को काफी प्यार दिया इसके लिए वे उनकी आभारी हैं।मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा- लता मंगेशकर जी की कोमल और अति सुंदर मधुर वाणी सदैव विशिष्ट थी। उनके गीत न केवल मंत्रमुग्ध कर देने वाले थे बल्कि आत्मा को भी सुकून देने वाले थे।

मां सरस्वती अपनी बेटी को भी साथ ले गईं- गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तो भावुक ही हो गए। बोलते-बोलते गला भर आया और आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा- कल बसंत पंचमी थी। मां सरस्वती का आगमन हुआ था। आज मां सरस्वती की हर जगह विदाई हो रही है। मां सरस्वती अपने साथ-साथ अपनी पुत्री लता मंगेशकर को भी साथ ले गईं। लता मंगेशकर सिर्फ स्वर कोकिला नहीं थीं, देश और राष्ट्र सम्मान का प्रतीक थीं।

साधना, तप और जीवन जीने की ऊर्जा का स्रोत थीं लताजी- यादव

जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने कहा कि- हम जब भी मुसीबत में रहे तो लताजी के गानों ने हमें शक्ति दी। वो एक साधना, एक तप और जीवन जीने की ऊर्जा का स्रोत थीं। मुस्कुराने के लिए, जीवन जीने के लिए हर पीड़ा में, हर दुखों में, हर संकट में आंतरिक ताकत मन को रोमांचित करता था। लता जी आज हमारे बीच नहीं रहीं और हमलोग को अनंत-अनंत पीड़ा देकर ईश्वर के पास चली गईं। ईश्वर उनके चाहने वालों को ताकत दे। 

स्वर कोकिला के निधन का ऐसा भी असर कि, यूपी चुनाव का भाजपा का घोषणा-पत्र नहीं हुआ जारी

यूपी चुनाव के चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लखनऊ में थे। उन्होंने व सीएम योगी आदित्य नाथ, डिप्टी सीएम केपी मौर्य और यूपी बीजेपी प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने के लिए 2 मिनट का मौन रखा। लता मंगेशकर के निधन के कारण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का घोषणा-पत्र जारी करने का कार्यक्रम टाल दिया गया।

बता दें, कि- स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई में निधन हो गया। वे 29 दिन से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। 8 जनवरी को उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने रविवार सुबह करीब 8 बजे अंतिम सांस ली।

अब जानिए, राष्ट्रीय और राजकीय शोक के मायने...

पहले ऐसा सीमित लोगों के लिए ही घोषित होता था राष्ट्रीय शोक, अब बदल गए नियम

पहले सीमित लोगों के लिए ही राष्ट्रीय शोक घोषित करने का नियम था। इन सीमित व्यक्तियों में केवल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके लोग ही शामिल थे। उनके निधन पर ही राष्ट्रीय या राजकीय शोक की घोषणा होती थी। आजादी के बाद सर्वप्रथम राष्ट्रीय शोक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था। बाद में पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या फिर पूर्व में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह चुके व्यक्ति का निधन होने पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा होती थी। अब नियम बदल चुके हैं। अब गणमान्य व्यक्तियों के निधन पर भी केंद्र सरकार विशेष निर्देश जारी कर राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकती है। इसके अलावा देश में बड़ी आपदा के वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है। राष्ट्रीय अथवा राजकीय शोक की घोषणा पहले केवल केंद्र सरकार ही करती थी। केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही करते थे। अब राज्यों को भी यह अधिकार है। राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है। केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजकीय शोक घोषित कर सकती हैं। उदाहरण के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग घोषणा की गई थी।

राष्ट्रीय शोक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज और छुट्टी को लेकर यह है नियम

राष्ट्रीय ध्वज के मान-सम्मान के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता है। इसके अनुसार राष्ट्रीय शोक के दौरान सचिवालय, विधानसभा सहित सभी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। विदेशों में भारतीय दूतावासों और उच्‍चायोगों में भी राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधे झुके रहेंगे। औपचारिक और सरकारी कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं होगा। इसी तरह जिन राज्यों में राजकीय शोक घोषित किया गया है वहां इस अवधि में समारोह और आधिकारिक मनोरंजन भी नहीं होंगे।

केंद्र सरकार द्वारा 1997 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था जिसके मुताबिक राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं है। अब इसका प्रावधान नहीं है। राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए किसी का निधन होने पर छुट्टी होती है। हालांकि सरकारों के पास यह अधिकारी है कि यदिव चाहे तो किसी भी गणमान्य व्यक्ति के निधन के बाद सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर सकती है। बता दें कि, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन पर कई राज्यों में एक दिन का सार्वजनिक अवकाश और सात दिन का राजकीय शोक भी घोषित किया था। 

राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के ये हैं मायने

राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार महत्वपूर्ण पहलू है। हालाकि यह जरूरी नहीं कि राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार होने पर राष्ट्रीय अथवा राजकीय शोक घोषित हो। ऐसा सरकारों पर निर्भर है। भारतीय सेना अथवा अन्य फोर्स में जब कोई सैनिक या सैन्य अधिकारी शहीद होता है तो उनका अंतिम संस्कार राजकीय समम्मान से होता है लेकिन तब राजकीय अथवा राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं होता। कहने का आशय यह है कि राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना और राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित होना दोनों अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर है।