MP उच्च न्यायालय का फैसला : आदिवासी विकास विभाग के प्रमुख सचिव और सहायक आयुक्त कोर्ट की आवमानना के दोषी, अनुकंपा नियुक्ति मामले में आदेश का नहीं किया पालन

मप्र हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्त के मामले में दिए आदेश का पालन नहीं करने पर मप्र के आदिवासी विकास विभाग के प्रमुख सचिव और सहायक आयुक्त को अवमानना का दोषी ठहराया है।

MP उच्च न्यायालय का फैसला : आदिवासी विकास विभाग के प्रमुख सचिव और सहायक आयुक्त कोर्ट की आवमानना के दोषी, अनुकंपा नियुक्ति मामले में आदेश का नहीं किया पालन
मप्र उच्च न्यायालय का फैसला।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने रतलाम जिले के बाजना की बेटियों दीप्ति सोलंकी व यशविनी सोलंकी की अवमानना याचिका क्रमांक 291/2024 पर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। न्यायालय ने अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित मामले में आदिवासी विकास विभाग के प्रमुख सचिव और सहायक आयुक्त को अवमानना का दोषी पाया है। न्यायालय ने दंड के प्रश्न पर जवाब प्रस्तुत करने के साथ ही पूछा है कि क्यों न इस मामले में अधिकारियों को दंडित किया जाए।

अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट ने बताया कि दीप्ति सोलंकी व यशविनी सोलंकी की याचिका में वर्ष 2018 तथा दिनांक 06-09-2023 को पारित आदेश के तहत कार्यवाही का आग्रह किया गया था। दोनों बालिकाओं ने माता सरोज की हत्या पिता द्वारा कर दिए जाने एवं पिता की कारावास में मृत्यु हो जाने पर दीप्ति सोलंकी को शैक्षणिक योग्यता अनुसार रिक्त पद पर अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की मांग की थी। ऐसा इसलिए कि उनकी माता सरोज की 1998 में शिक्षाकर्मी के रूप में नियुक्त हुई थी। वर्ष 2007 में अध्यापक संवर्ग में संविलियन किया गया था। माता की मृत्यु के उपरांत याचिका क्रमाकं 7834/2019 में उसके समस्त सेवा संबंधी मरणोपरांत लाभों का भुगतान किए जाने के आदेश दिए गए थे।

अधिकारियों ने प्रस्तुत नहीं की कम्पलाइंस रिपोर्ट

उपरोक्त समान आदेश पूर्व में याचिका क्रमांक 5316/2017 में दिनांक 21-02-2018 को भी पारित हुए थे। इसलिए याचिका क्रमांक 7834/2019 में 06-09-2023 को अंतिम आदेश में याचिका को अंतिम रूप से निराकृत न करते हुए मध्यप्रदेश शासन को उपरोक्त आदेश का पालन करने के लिए 03 माह का समय देकर याचिका को दिनांक 06 नवम्बर 2023 को नियत कर कम्पलाइंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। परंतु अधिकारियों ने कम्पलाइंस रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की।

अधिकारियों को दिए थे न्यायालय में उपस्थित रहने के आदेश

अधिकारियों द्वारा दिनांक 07-11-2023 को आदेश का पालन किए बिना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इसमें कैबिनेट को प्रस्ताव भेजने की बात कही। अधिकारियों ने कैबिनेट के आदेश मिलने पर कार्यवाही करना बताया था। इस पर न्यायालय ने आदिवासी विकास विभाग के आयुक्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एवं सहायक आयुक्त को उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने के आदेश दिए थे। दिनांक 24-04-2024 को आदेश का पालन न होने पर 01-05-2024 को प्रमुख सचिव आदिवासी विकास विभाग को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तथा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास रतलाम जिला रतलाम को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे।

अधिकारियों ने फिर मांगा था समय, न्यायालय ने नहीं दिया

दिनांक 01-05-2024 को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विवेक रूसिया के समक्ष अदिवासी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ई. रमेश कुमार तथा सहायक आयुक्त रंजना सिंह उपस्थित हुए। अधिकारी द्वय ने कम्प्लाइंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संबंध में फिर मंत्री परिषद् के समक्ष मामला प्रस्तुत करने की बात कही। साथ ही कम्प्लाइंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय की मांग भी की। न्यायालय ने अधिकारियों के तर्क समय मांगने के अनुरोध को खारिज कर उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया। प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट ने की।