भारत के नाम नया कीर्तिमान ! PM नरेंद्र मोदी ने विश्व के सबसे ऊंचे ब्रिज चिनाब ब्रिज का किया उद्घाटन, कटरा-श्रीनगर वंदेभारत ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई

चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे ब्रिज का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उद्घाटन किया। उन्होंने वैष्णोदेवी माता से श्रीनगर तक के लिए वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई।

भारत के नाम नया कीर्तिमान ! PM नरेंद्र मोदी ने विश्व के सबसे ऊंचे ब्रिज चिनाब ब्रिज का किया उद्घाटन, कटरा-श्रीनगर वंदेभारत ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई
दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज के उद्घाटन के अवसर पर तिरंगा फहराते पीएम नरेंद्र मोदी।

एसीएन टाइम्स @ नई दिल्‍ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज ‘चिनाब ब्रिज’ का उद्घाटन कर देश को समर्पित कर दिया। इस दौरान पीएम हाथ में तिरंगा लेकर ब्रिज पर चलते नजर आए। मोदी ने कटरा से श्रीनगर को जोड़ने वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई।

भारत के नाम पर शुक्रवार को एक नया कीर्तिमान जुड़ गया। यह कीर्तिमान है चिनाब नदी पर बना विश्व के सबसे ऊंचे ब्रिज का उपयोग शुरू होना। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। उन्होंने अंजी केबल ब्रिज का उद्घाटन भी किया। इस दौरान उनके साथ जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिह्ना, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे। मोदी ने चिनाब नदी पर रेलवे का सबसे बड़ा ब्रिज बनाने वाले श्रमिकों से मुलाकात भी की। उन्होंने श्रमिकों की प्रशंसा की जिनकी कड़ी मेहनत के कारण ब्रिज आकार ले पाया है।

एफिल टॉपर से भी ऊंचा है ब्रिज

उद्घाटन के पश्चात पीएम मोदी ने बताया कि चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। यह एफिल टॉवर से भी ऊंचा है। अब लोग चिनाब ब्रिज के जरिए कश्मीर देखने तो जाएंगे ही, यह ब्रिज भी एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। चिनाब ब्रिज हो या फिर आंजी ब्रिज... ये जम्मू-कश्मीर की समृद्धि का जरिया बनेंगे। इससे टूरिज्म तो बढ़ेगा ही इकोनॉमी के दूसरे सेक्टर्स को भी लाभ होगा। जम्मू कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी। इससे यहां की इंडस्ट्री को गति मिलेगी।

वंदे भारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में श्री माता वैष्णो देवी कटरा (एसवीडीके) से श्रीनगर तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। हरी झंडी दिखाने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रेन में सवार स्कूली बच्चों से बातचीत की। गौरतलब है कि वंदे भारत ट्रेन में कुल 8 कोच हैं, जिसमें 653 यात्री बैठ सकते हैं। यह ट्रेन ठंडे इलाकों से होकर गुजरेगी। इसे इसी हिसाब से ट्रेन को डिजाइन किया गया है। कटरा से श्रीनगर के बीच चलने वाली इस ट्रेन के बीच में 25 स्टेशन आएंगे। उन्होंने ट्रेन में मौजूद रेलवे कर्मचारियों से भी बातचीत की।

12 महीने चलेगी ट्रेन

ट्रेन के लोको पायलट रामपाल शर्मा के अनुसार यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। पीएम नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और भारतीय रेल कर्मचारियों ने एक सदियों पुराना सपना पूरा किया है। उन्होंने बताया कि यह विशेष रूप से रेल इंजीनियरों के दृढ़ संकल्प, निष्ठा और समर्पण से संभव हुआ है। यह कोई साधारण या आसान काम नहीं था। मार्ग बेहद चुनौतीपूर्ण है। यह वंदे भारत ट्रेन सभी आधुनिक सुविधाओं से भरपूर है। यह ट्रेन पूरे 12 महीने चलेगी।

एक्स हैंडल पर पीएम ने की यह पोस्ट

पीएम ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि, चिनाब रेल पुल के निर्माण से जुड़े कुछ लोगों के साथ परस्पर बातचीत की। वे भारत के विभिन्न हिस्सों के रहने वाले हैं और देशवासियों के लिए आधुनिक अवसंरचना के निर्माण के अपने संकल्प में अडिग हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें बहुत चुनौतीपूर्ण समय में काम करना भी शामिल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार उनके द्वारा किए गए काम पर कितना गर्व करते हैं।

11 वर्ष में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं हुईं पूरी

रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने मीडिया को बताया कि, 'पिछले 11 सालों में रेलवे की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का विजन है कि जब कोई परियोजना का शिलान्यास होता है तो उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए। हम उसी के अनुसार काम कर रहे हैं। पंबन ब्रिज और यूएसबीआरएल परियोजना में यह विजन साफ नजर आता है। पूरे पूर्वोत्तर को जोड़ने के लिए भी काम हो रहा है। आइजोल तक रेलवे लाइन बिछाने का काम प्रगति पर है। जल्दी ही ट्रेनों की आवाजाही शुरू होगी। सिक्किम परियोजना पर भी काम चल रहा है। कर्णप्रयाग को जोड़ने के लिए एक अलग सुरंग बनाई है जो टी50 से भी लंबी होगी। जहां रेलवे कनेक्टिविटी नहीं है, ऐसे दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों पर एक साथ काम हो रह है।