सुविधा में इजाफा ! इंजिन में वातानुकूलित कैबिन और एर्गोनॉमिक सीटों ने लोको पायलट की वर्किंग कंडीशन में आया सुधार, ज्यादा ट्रैफिक वाले रूट पर बन रहे रनिंग रूम

बीते 10 वर्षों में हुए सुधारों ने भारतीय रेलवे को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। लोको पायलट की सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है जिससे उनकी वर्किंग कंडीशन में भी काफी सुधार आया है।

सुविधा में इजाफा ! इंजिन में वातानुकूलित कैबिन और एर्गोनॉमिक सीटों ने लोको पायलट की वर्किंग कंडीशन में आया सुधार, ज्यादा ट्रैफिक वाले रूट पर बन रहे रनिंग रूम
लोको पायलट के आधुनिक सुविधायुक्त कैबिन।

एसीएन टाइम्स @ डेस्क । भारतीय रेल अब छुक-छुक इंजिन वाली नहीं रही है, बल्कि समय के साथ लगातार अपग्रेड हो रही है। बीते 10 वर्षों में लोकोमोटिव में हुए बदलावों से लोको पायलट की वर्किंग कंडीशन में काफी सुधार आया है। सिर्फ इतना ही नहीं, रनिंग रूम भी सर्वसुविधायुक्त हुए हैं।

लोको पायलट भारतीय रेल परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। उनके वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। पिछले 10 वर्षों में लोको पायलट के सभी रनिंग रूम को वातानुकूलित किया गया है और उन्हें अच्छे से सुसज्जित किया गया है। 2014 से पहले देश का एक भी रनिंग रूम वातानुकूलित नहीं था। 10 वर्षों में आधे से ज़्यादा लोको कैबिन को एर्गोनॉमिक सीटों, वातानुकूलन और अन्य सुधारों के साथ अपग्रेड किया गया है। पहले एक भी लोको कैबिन वातानुकूलित नहीं था। 

लोकोमोटिव में लगाए जा रहे सुविधाघर, बन रहे रनिंग रूम

सभी नए लोकोमोटिव्स में सुविधाघर भी लगाए जा रहे हैं। एक दशक पहले यह निर्माण योजना का हिस्सा भी नहीं था। पुराने लोकोमोटिव्स में सुविधाघर लगाने के लिए रेट्रोफिटिंग की जा रही है। इसके लिए डिज़ाइन में संशोधन भी किए जा रहे हैं। जिन मार्गों पर भारी ट्रैफिक रहता है, वहाँ नए रनिंग रूम बनाए जा रहे हैं। इन प्रयासों से लोको पायलट के वर्किंग ऑवर्स में उल्लेखनीय कमी आई है।

सेफ्टी को लेकर भी हुआ काफी काम

कोहरे में सुरक्षा के लिए फॉग-सेफ्टी उपकरण, कवच, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम और इंप्रूव्ड ब्रेकिंग सिस्टम जैसी तकनीकों से रेलवे सेफ्टी बेहतर हुई है और लोको पायलट को भी काफी सुविधा मिली है। ऑनबोर्ड सुविधाएँ, उन्नत तकनीकें और रेस्ट के लिए पर्याप्त समय से लोको पायलट के कार्य वातावरण लगातार बेहतर हुए हैं।

ये सुविधाएं भी मिलने लगीं

मालगाड़ी सबअर्बन ट्रेन और पैसेंजर एवं मेल एक्सप्रेस गाड़ियों का परिचालन करने वाले लोको पायलटों के टॉयलेट ब्रेक और स्नेक्स हेतु व्यवस्था रहती है। माल गाड़ियां कई स्टेशनों और यार्ड में रुकती हैं। इन स्टेशनों पर पर्याप्त समय होता है जिससे कर्मचारी सुविधाघर का का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही यह समय नाश्ते के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।

ट्रेनों का परिचालन भी अल्प दूरी के लिए हो रहा

सबअर्बन तथा मैट्रो ट्रेनों का परिचालन अल्प दूरी के लिए किया जाता है और इनके चालक दल टर्मिनल स्टेशनों पर सुविधाघर का उपयोग करते हैं। पैसेंजर ट्रेनों पर कार्यरत कर्मचारी स्टेशन पर ट्रेन के खड़े रहने के दौरान ट्रेन के सुविधाघर का उपयोग करते हैं और इस समय का उपयोग नाश्ते के लिए भी करते हैं। स्टेशन के कर्मचारी लोको पायलट को सदैव सहयोग देते हैं। लोको पायलट को वॉकी-टॉकी की सुविधा भी दी गई है। इसके द्वारा वे स्टेशन के कर्मचारियों के संपर्क में रहते हैं।