विक्रमोत्सव-2025 : रतलाम के विधि विशेषज्ञ कैलाश व्यास उज्जैन में आयोजित वैचारिक संगम में ‘विक्रमादित्य का न्याय’ पर डालेंगे प्रकाश
उज्जैन में आयोजित तीन दिवसीय विक्रमोत्सव 2025 के समापन सत्र में रतलाम निवासी विधि विशेष कैलाश व्यास मुख्य वक्ता के रूप में विक्रमादित्य का न्याय विषय पर संबोधित करेंगे।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । महाकाल की नगरी उज्जैन में स्वराज संस्थान संचालनालय संस्कृति विभाग और महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ उज्जैन द्वारा तीन दिवसीय विक्रमोत्सव 2025 का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह में रतलाम निवासी विधि विशेषज्ञ कैलाश व्यास ‘विक्रमादित्य का न्याय’ विषय पर प्रकाश डालेंगे।
विक्रमोत्सव 2025 का आयोजन उज्जैन के कालीदास अकादमी के पं. सूर्यनारायण व्यास संकुल में हो रहा है। इस वैचारिक समागम के तीसरे दिन 3 मार्च को सुबह 11 बजे समापन सत्र के मुख्य वक्ता रतलाम निवासी विधि विशेषज्ञ कैलाश व्यास होंगे। व्यास राजा विक्रमादित्य के न्याय से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे। वे यह भी बताएंगे कि आज की न्याय व्यवस्था के साथ उनके न्याया का क्या और कैसे जुड़ाव है। सेवानिवृत्त उप संचालक अभियोजन कैलाश व्यास विक्रम विश्विद्यालय में विधि विषय के गोल्ड मेडलिस्ट होने के साथ साथ श्रेष्ठ वक्ता भी हैं। इनका रंगकर्म से भी अच्छा तादात्म्य है।
ये होंगे अन्य वक्ता
समापन सत्र के अन्य वक्ताओं के रूप में सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सुबोध कुमार जैन, उच्च न्यायालय इंदौर के न्यायाधीश देवेंद्र सिंह सोलंकी, मंदसौर के पूर्व जिला न्यायाधीश रघुवीर सिंह चुड़ावत एवं उच्च न्यायालय मप्र के अभिभाषक शेखर श्रीवास्तव भी संबोधित करेंगे। बता दें कि इस महोत्सव के संयोजक शासकीय अभिभाषक रविंद्र सिंह कुशवाह एवं सह संयोजक डॉ. अजय शर्मा एवं प्रखर पुराणिक हैं।
यह है आयोजन का उद्देश्य
विक्रमादित्य का न्याय : वैचारिक समागम के माध्यम से विक्रमादित्य कालीन राजधर्म, न्याय व्यवस्था एवं दंड विधान के स्वरूप, विक्रमादित्य के पूर्व समाज एवं रज्य धर्म में न्याय व्यवस्था, भारतीय न्याय व्यवस्था के स्त्रोत, कथानक एवं परंपराएं तथा उसका समाज पर प्रभाव बताना है। इसके साथ ही स्मृति एवं नीति शास्त्रों में भारतीय जीवन, न्याय के संदर्भ तथा वर्तमान संविधान, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था की प्रासंगिकता, न्याय व्यवस्थे के भविष्य में नवीन विषय एवं राष्ट्रीय एकीकरण में महत्व एवं चुनौतियां आदि पहलुओं को रेखांकित करते हुए प्रकाश डाला भी इस आयोजन का उद्देश्य है।