मंदसौर गोलीकांड UPDATE ! MP सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जारी, 4 सप्ताह में मांगा जवाब, कांग्रेस नेता पारस सकलेचा की याचिका पर हुआ आदेश
मंदसौर में हुए गोलीकांड की जांच करने वाले जैन आयोग कि रिपोर्ट विधानसभा पटल पर नहीं रखे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम / मंदसौर । मंदसौर गोली कांड की जांच के लिए बने जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संदीप दास एवं जस्टिस विक्रम मेहता ने मप्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ‘दादा’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है।
जानकारी के अनुसार गत 6 जून 2017 को पिपलिया मंडी, मंदसौर में पार्श्वनाथ चौपाटी पर आंदोलनरत किसानों पर पुलिस द्वारा गोली चलाई गई थी। इससे 5 किसानों की मृत्यु हो गई थी। इस गोलीकांड की सीबीआई जांच तथा जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज करने की मांग को लेकर पारस सकलेचा ने उच्च न्यायालय इंदौर में पिटीशन क्रमांक 5861/2017 दिनांक 15/9/2017 दायर की थी।
उधर, शासन द्वारा 12 जून 2017 को जैन आयोग का गठन किया गया। इसके चलते न्यायाधीश पी. के. जायसवाल तथा न्यायाधीश विरेन्द्र सिंह ने उक्त याचिका खारिज कर दी थी। जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को पेश कर दी थी किंतु इसे चार बाद भी विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया।
अधनियिम में यह है प्रावधान
शासन की लेटलतीफी के चलते पारस सकलेचा ने उच्च न्यायालय इंदौर में 3 मई 2022 को पिटीशन क्रमांक 10626/2022 पेश कर प्रार्थना की। उन्होंने अनुरोध किया कि न्यायालय शासन को आदेश दे कि कि वह जैन आयोग की रिपोर्ट पर कार्यवाही कर उसे विधानसभा के पटल पर रखे। सकलेचा ने न्यायालय से कहा कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3(4) के तहत जांच आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने के 6 माह के अंदर उस पर कार्रवाई कर विधानसभा के पटल पर रखना शासन का दायित्व है।
उच्च न्यायालय ने यह दिया था तर्क
सकलेचा की उक्त याचिका की सुनवाई उच्च न्यायालय इंदौर में न्यायाधीश विवेक रूसिया तथा न्यायाधीश बिनोद कुमार द्विवेदी ने की। न्यायालय 14/10/2024 को पारस सकलेचा की पिटीशन खारिज कर दी थी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि घटना को 6-7 वर्ष हो जाने पर उसकी रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है।
इसी साल दायर की थी याचिका
उच्च न्यायालय के उक्त आदेश से असंतुष्ट होकर पारस सकलेचा ने 8 जनवरी 2025 को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी वरिष्ठ अभिभाषक विवेक तन्खा तथा सर्वम रीतम खरे ने की। अधिवक्ताओं के तर्क सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने राज्य शासन को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।