भविष्य से खिलवाड़ ! सृजन कॉलेज में हुई महिला-बाल विकास सुपरवाइजर चयन परीक्षा मजाक बनी, घटिया कम्प्यूटर और बिजली कटौती ने बर्बाद किया परीक्षार्थियों का समय
महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर पद के लिए रतलाम के सृजन कॉलेज में हुई परीक्षा मजाक बन गई। यहां बिजली कटौती और घटिया कम्प्यूटर के कारण परीक्षार्थियों के 20 से 25 मिनट तक बर्बाद होने का मामला आया है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । महिला एवं बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर पद भरने के लिए हुई चयन परीक्षा रतलाम में मजाक बन गई। यहां सृजन कॉलेज में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। बिजली कटौती और घटिया कम्प्यूटरों के कारण परीक्षार्थियों का काफी समय बर्बाद हो गया। वे इस अव्यवस्था को उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ बता रहे हैं।
मप्र के महिला एवं बाल विकास विभाग के महिला पर्यवेक्षक के करीब 800 पदों के लिए रविवार को परीक्षा का आयोजन मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (MPESB) किया गया। इसके लिए रतलाम सहित प्रदेशभर में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। रतलाम एक केंद्र सृजन कॉलेज में भी बनाया गया था। जहां परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों को तकनीकी खामियों का खामियाजा भुगतना पड़ा। सृजन कॉलेज में परीक्षा देने वाली अभ्यर्थियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रथम सत्र की परीक्षा का समय सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक का था। इन अति महत्वपूर्ण तीन घंटों में से उनके तकरीबन 20 से 22 मिनट तक बर्बाद हुए।
यह रही वजह
परीक्षार्थियों के अनुसार परीक्षा ऑनलाइन होना थी। इसके लिए उन्हें सेंटर पर जो कम्प्यूटर उपलब्ध करवाए गए थे, वे काफी घटिया होकर प्रश्नों के उत्तर दर्ज करने में काफी परेशानी हुई। कम्प्यूटर बार-बार हैंग होने से जितने समय में दो से तीन प्रश्नों के उत्तर दिए जा सकते थे, उतने में एक से दो प्रश्न ही हल किए जा सके। इतना ही नहीं परीक्षा के दौरान बिजली भी गुल हुई, जिससे कम्प्यूटर बंद हो गए। जब बिजली आपूर्ति सुचारु हुई तब कम्प्यूटर चालू हुए। इसके पुनः कोड डाल कर परीक्षा आगे बढ़ी। परीक्षार्थियों का कहना है कि कुछ कम्प्यूटर की स्थिति तो इतनी खराब थी कि उन्हें हटा कर दूसरे कम्प्यूटर उपलब्ध करवाए गए। इसमें भी काफी समय बेकार हुआ।
...तो ज्यादा आ सकते थे अंक
परीक्षार्थियों के मुताबिक यदि बिजली कटौती होने पर जनरेटर, इनवर्टर या यूपीएस जैसी वैकल्पिक व्यवस्था होती तो उनका समय बर्बाद नहीं होता। इसी तरह यदि कम्प्यूटर भी बेहतर होते तो उनके 20 से 25 मिनट बर्बाद नहीं होते और परीक्षा में उनके अंक भी ज्यादा आते। इससे कई परीक्षार्थियों के चयन की उम्मीद बढ़ जाती।