व्यंग्य के पंच-प्रपंच : विद्रूपताओं और विसंगतियों पर कम शब्दों में गंभीर बात और तीखे प्रहार करते हैं व्यंग्य- गोविन्द सेन

जनवादी लेखक संघ द्वारा व्यंग्य विधा को लेकर अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें व्यंग्यकारों ने विद्रूपताओं और विसंगतियों पर प्रहार करने वाली व्यंग्य रचनाएं प्रस्तुत की।

व्यंग्य के पंच-प्रपंच : विद्रूपताओं और विसंगतियों पर कम शब्दों में गंभीर बात और तीखे प्रहार करते हैं व्यंग्य- गोविन्द सेन
व्यंग्य के प्रपंच कार्यक्रम को संबोधित वरिष्ठ व्यंग्यकार गोविंद सेन।

जनवादी लेखक संघ का व्यंग्य विधा पर अनूठा आयोजन, रचनाकारं ने दागे अपने तीखे व्यंग्य बांण

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । व्यंग्य विधा कम शब्दों में गंभीर बात और तीखे वार करने वाली है। समकालीन रचनाकार अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से सामाजिक विद्रूपताओं को सामने तो रख ही रहे हैं, साथ ही उन ताकतों पर भी प्रहार कर रहे हैं जिनकी वजह से विसंगतियां पैदा हो रही हैं। व्यंग्य की यही ताकत उसे और लोकप्रिय बना रही है।

उक्त विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित "व्यंग्य के पंच-प्रपंच" कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद सेन ने व्यक्त किए। समकालीन संदर्भ को व्यंग्य विधा के माध्यम से किस तरह उभारा जा रहा है और वर्तमान विसंगतियों पर एक व्यंग्यकार किस तरह करारा प्रहार कर रहा है, इसी परिप्रेक्ष्य में जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा अनूठा आयोजन किया गया। व्यंग्य विधा पर केन्द्रित आयोजन में चर्चित वरिष्ठ व्यंग्यकार गोविंद सेन (मनावर), जगदीश ज्वलंत (महिदपुर), डॉ. लोकेंद्र सिंह कोट, संजय जोशी 'सजग' एवं आशीष दशोत्तर ने अपनी व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। गोविन्द सेन ने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से राजनीतिक विसंगतियों और सामाजिक एकता पर हो रहे प्रहार को रेखांकित किया।

जगदीश ज्वलंत ने अपनी व्यंग्य रचनाओं द्वारा शिक्षा प्रणाली के विरोधाभासी पक्ष को उजागर किया। उन्होंने 'ग़रीब बच्चे' व्यंग्य के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों को कठघरे में खड़ा किया। डॉ. लोकेन्द्रसिंह कोट ने व्यंग्य रचना 'बैताल की वापसी' के माध्यम से बाजारवाद के मकड़जाल और विकास की दौड़ में पीछे छूटते मूल्य की चर्चा की। संजय जोशी 'सजग' ने अपनी रचना में क़र्ज़ से बेहाल इंसान और उसकी जीवनशैली की बारीकियों को उजागर किया। उन्होंने अपने व्यंग्य के माध्यम से लोन संस्कृति पर भी प्रहार किए।

आशीष दशोत्तर ने अपनी व्यंग्य रचनाओं 'बड़ा आदमी, और 'सुखहर्ता-दु:खकर्ता' के माध्यम से समाज में व्याप्त विषमताओं और विसंगतियों पर प्रहार किया। प्रस्तुत सभी व्यंग रचनाओं में तीखे शब्द और उनके पीछे छिपे गहरे अर्थों का उपस्थितजन ने आनंद लिया।

इन्होंने भी व्यक्त किए विचार

इस अवसर पर प्रो. रतन चौहान ने कहा कि गद्य व्यंग्य लेखन की गंभीर परंपरा एवं व्यंग्य के समकालीन रचनाकारों ने इस आयोजन में अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से समृद्ध किया है। यूसुफ जावेदी ने कहा कि व्यंग्य को लेकर रतलाम में अपनी तरह का यह अनूठा आयोजन हुआ जिसमें गद्य व्यंग्य की परंपरा से जनमानस को जोड़ने का प्रयास किया गया। रणजीत सिंह राठौर ने कहा कि व्यंग्यकार वर्तमान में निरंतर व्यंग्य लेखन से जुड़े होकर देश के प्रमुख व्यंग्य आयोजनों में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे हैं, जिससे रतलाम के साहित्य प्रेमी भी रूबरू हुए। अश्विनी शर्मा ने मई दिवस समारोह के संदर्भ में जानकारी दी।

रचनाकारों का किया सम्मान

जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर एवं सचिव सिद्दीक़ रतलामी ने रचनाकारों का पुष्पहार से सम्मान किया। आशीष दशोत्तर को साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश द्वारा 'शरद जोशी व्यंग्य सम्मान' मिलने पर शाल, श्रीफल एवं अभिनंदन-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। 

इनकी रही उपस्थिति

कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि श्याम माहेश्वरी, शांतिलाल मालवीय, कीर्ति शर्मा, पद्माकर पागे, मांगीलाल नगावत, इन्दु सिन्हा, डॉ. शोभना तिवारी, गीता राठौर, लता बक्षी, जुझारसिंह भाटी, नरेन्द्रसिंह पंवार, राजीव पंडित, अब्दुल सलाम खोकर, श्याम सुंदर भाटी, प्रकाश हेमावत, लक्ष्मण पाठक, सुभाष यादव, मुकेश सोनी, अनिल गोयल, मनमोहन राजावत, सत्यनारायण सोढ़ा, एम. डी. बौरासी, डॉ. दिनेश तिवारी सहित व्यंग्य प्रेमी मौजूद थे। संचालन यूसुफ जावेदी ने किया तथा आभार सिद्दीक़ रतलामी ने व्यक्त किया।