बड़ी खबर ! रतलाम में नहीं होंगी BRC, BAC और CAC की प्रतिनियुक्तियां, इसकी वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप
यदि आपने BRC, BAC और CAC बनने के लिए आवेदन किया है तो ज्यादा इंतजार न करें। आप बच्चों को पढ़ाने में ही दिमाग लगाएं, क्योंकि...

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अगर आपने विकासखंड स्रोत समन्वयक (BRC), विकासखंड अकादमिक समन्वयक (BAC) और जनशिक्षक (CAC) बनने के लिए आवेदन किया है तो आप ज्यादा इंतजार मत कीजिए। आशंका है कि कम से कम इस सत्र में तो इन पदों पर प्रतिनियुक्तियां नहीं हो पाएंगी ! ऐसा इसलिए कि प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव जिन फाइलों में नस्ती हैं, वे संगमरमर से बने कछुओं की पीठ पर रखी गई हैं जो धीमी गति से भी नहीं चल सकते हैं।
राज्य शिक्षा केंद्र के माध्यम से शिक्षकों को बाबू बनाने की जो परंपरा शुरू हुई थी वह अब भी चल रही है। शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बनी यह व्यवस्था अब जिम्मेदारों के लिए ‘प्रयोग’ बन गई है जिसका उपयोग सिर्फ अपने हितों को साधने के लिए होने लगा है। इसकी बानगी रतलाम जिले में होने वाली प्रतिनियुक्तियों में भी साफ देखी जा सकती है।
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लंबे प्रयास के बाद शुरू हुई थी प्रक्रिया
शिक्षक संगठनों के बार-बार मांग करने और प्रयासों के बाद मई में रतलाम बीआरसी के रिक्त पद के साथ ही बीएसी और जनशिक्षकों के पदों पर प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके लिए संबंधित विभागों से आदेश भी जारी हुए थे जिनमें संकुल प्राचार्यों के माध्यम से प्रतिनियुक्ति के इच्छुक व्यक्ति की सहमति और आवेदन मंगवाए गए थे। आदेश में प्रक्रिया पूरी करने के लिए डेडलाइन भी तय की गई थी।
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...और अब अटक गई
सभी पदों पर प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया लंबे समय से अटकी हुई है, यह पुनः कब शुरू होगी, इसे लेकर संबंधित अफसरों के पास कोई जवाब नहीं है। कहा जा रहा है कि अफसर इस मामले में वॉलीबॉल के खेल की तरह एक-दूसरे के पाले में गेंद उछाल रहे हैं। नतीजतन प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों का इंतजार और बेचैनी दोनों ही बढ़ती जा रही है। प्रतिनियुक्ति की मांग करने वाले कर्मचारी संगठन भी इस देरी से खिन्न हैं और अब वे लामबंद होकर हल्ला बोलने की तैयारी कर रहे हैं।
ये कारण हैं चर्चा में
सूत्रों का कहना है कि प्रतिनियुक्ति के मामले में अब तक निर्णय नहीं हो पाने के पीछे कई चर्चाएं विभागीय गलियारों में चल रही हैं। इनमें से कुछ चर्चाएं इस प्रकार हैं...
- पूर्व में जो शिक्षक इन पदों पर काबिज हैं वे समयावधि पूरी होने के बाद भी हटने को तैयार नहीं हैं। यह तभी हो सकता है जब कोई पद मान-सम्मान के साथ ही आर्थिक लाभ भी देने लग जाए।
- कतिपय अफसरों का ऐसे कुछ कर्मचारियों के प्रति ज्यादा ‘स्नेह’ भी उन्हें प्रक्रिया पूरी होने देने से रोक रहा है। वैसे यह ‘स्नेह’ बेशकीमती है जो यूं ही किसी को नहीं मिलता।
- जिन्हें डर है कि उनके हटने और नए की प्रतिनियुक्ति से उनके क्रिया-कलापों से पर्दा उठ सकता है, वे नई प्रतिनियुक्ति के प्रस्तावों पर कुंडली मार कर बैठे हुए हैं। इनकी एप्रोच भी ऊपर तक है जिससे कोई टांग अड़ाने की हिमाकत ही नहीं करना चाहता।
- आवेदक सिर्फ अपनी वरिष्ठता, शैक्षणिक योग्यता आदि के आधार पर ही प्रतिनियुक्त पाने का इंतजार कर रहे हैं जबकि इसके लिए संबंधित जिम्मेदारों को ‘खुश’ करना भी जरूरी होता है। अफसरों को खुश रखने का उपाय खुद आवेदकों को ही पता करना होगा।
डिस्क्लेमर
'इस सत्र में प्रतिनियुक्ति नहीं होगी...' यह हमारा कहना नहीं है बल्कि संबंधित विभागों के गलियारों में होने वाली कानाफूसी है जो एसीएन टाइम्स तक भी आ पहुंची है। इसके कारण भी उसी कानाफूसी का हिस्सा हैं। इस मामले में हमारे द्वारा व्यवस्था से जुड़े जिम्मेदारों से यह जानने का प्रयास किया गया था कि देरी की वजह क्या है और प्रक्रिया कब तक पूरी होने की उम्मीद है? इस बारे में जिम्मेदारों जो जवाब मिला उसमें स्पष्टता नहीं होने से उसका यहां उल्लेख किया जाना उचित जान नहीं पड़ता। वैसे पता चला है कि प्रतिनियुक्ति के प्रस्तावों की फाइलें संगमरमर से बने कछुओं की पीठ पर रखी गई हैं जो धीरे-धीरे भी नहीं चल सकते। यानी ये फाइलें तभी सरकेंगी जब कोई इन कछुओं की पीठ से उठा कर आगे बढ़ाएगा। कोई भी ऐसा सद्कार्य बिना किसी लाभ के करने से रहा।