सिविक सेंटर रजिस्ट्री कांड : हाईकोर्ट ने लगाई नगर परिषद द्वारा सभी 22 रजिस्ट्रियां शून्य घोषित कराने निर्णय पर रोक

रतलाम के राजीव गांधी सेंटर के 22 प्लॉट के रजिस्ट्रीधारकों को हाईकोर्ट से तात्कालिक राहत मिल गई है। नगर निगम परिषद के रजिस्ट्री शून्य घोषित करवाने के निर्णय पर हाईकोर्ट ने अगली तारीख तक रोक लगा दी है।

सिविक सेंटर रजिस्ट्री कांड : हाईकोर्ट ने लगाई नगर परिषद द्वारा सभी 22 रजिस्ट्रियां शून्य घोषित कराने निर्णय पर रोक
राजीव गांधी सिविक सेंटर की 22 रजिस्ट्रियां शून्य घोषित करवाने के निर्णय पर हाईकोर्ट की रोक।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मप्र हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने नगर निगम परिषद के राजीव गांधी सिविक सेंटर के 22 प्लॉट की रजिस्ट्री शून्य घोषित करवाने के निर्णय पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर नगर निगम से जवाब तलब किया है। निगम के जवाब के बाद स्पष्ट होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय देता है।

नगर निगम का साधारण सम्मेलन 7 मार्च को हुआ था। इसमें भाजपा पार्षद रत्नदीप सिंह राठौर (शक्ति बना), नेता प्रतिपक्ष शांतिलाल वर्मा और पक्ष और विपक्ष की मांग पर परिषद ने राजीवगां  में परिषद द्वारा सिविक सेंटर के 22 प्लाटों की रजिस्ट्री शून्य करवाने के निर्णय पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच से रोक लग गई है। हाई कोर्ट जज प्रणय वर्मा ने शुक्रवार को दिए आदेश में अगली सुनवाई तक रोक लगाने के साथ ही नगर निगम को नोटिस जारी करने के भी निर्देश दिए हैं। स्टे मिलने के बाद अब निगम के जवाब से आगे की कार्रवाई तय होगी।

नगर निगम की योजना क्रमांक 71 राजीव गांधी सिविक सेंटर में वर्ष 1998 में आवंटित 22 प्लॉट की रजिस्ट्री निगम प्रशासन ने कुछ महीनों पहले करवाई थी। आरोप है कि नगर निगम प्रशासन द्वारा लेन-देन कर उक्त प्लॉट की रजिस्ट्री करवा दी गई। जिनके नाम पर प्लॉट आवंटित किए गए थे, उनमें से कुछ लोगों ने नियम विरुद्ध कुछ भू-माफियाओं को भी बेच दिए। इतना ही नहीं, ऐसे प्लॉट की रजिस्ट्री भी तत्काल संपादित करवा दी गईं। इसी आशंका के चलते विगत 7 मार्च को हुए नगर निगम के साधारण सम्मेलन में भाजपा पार्षद रत्नदीप सिंह राठौर, नेता प्रतिपक्ष शांतिलाल वर्मा सहित पक्ष व विपक्ष के अन्य पार्षदों ने कड़े शब्दों में आपत्ति ली। उन्होंने इससे नगर निगम को आर्थिक हानि होने का अंदेशा भी जताया। इसके चलते परिषद ने सर्वसम्मति से सभी 22 रजिस्ट्री शून्य कराने की कार्रवाई के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था।

अगली तारीख पर स्पष्ट हो सकती है स्थिति

नगर परिषद के उक्त निर्णय से असंतुष्ट होकर उसे सभी 22 प्लॉट आवंटियों ने मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चुनौती दी। इसमें निर्णय पर रोक लगाने का गुहार लगाई गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश प्रणय वर्मा ने अगली तारीख तक रजिस्ट्री शून्य घोषित किए जाने के निर्णय पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने नगर निगम प्रशासन को नोटिस जारी किया है जिसमें वस्तुस्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।

बड़ा सवाल ? निगम के अभिभाषक किसकी करेंगे पैरवी

साधारण सम्मेलन के दौरान तत्कालीन नगर निगम आयुक्त एपीएस गहरवार द्वारा सदन को बताया गया था कि योजना क्रमांक 71 नजूल की भूमि पर नगर सुधार न्यास द्वारा विकसित की गई थी। उक्त भूमि के एवज में नगर निगम द्वारा नजूल विभाग को 3 करोड़ 98 लाख 50 हजार 799 रुपए भी भू-भाटक के जमा कराए जा चुके हैं। वहीं रजिस्ट्री कराने पर निगम को करीब ढाई करोड़ रुपए का राजस्व मिला। आयुक्त ने बताया था कि 22 प्लॉट की रजिस्ट्रियां राज्य शासन के एक निर्देश और हाईकोर्ट के एक आदेश के परिपालन में निगम के अभिभाषक का अभिमत लेकर ही कराई गई है।

ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि नगर निगम को हाईकोर्ट से मिले ताजा नोटिस और प्रकरण को लेकर निगम के अभिभाषक किसकी पैरवी करेंगे। वे नगर निगम के अफसरों का पक्ष लेंगे जिन्होंने रजिस्ट्री करवाई या फिर नगर निगम परिषद की ओर से रजिस्ट्री के विरुद्ध बोलेंगे। अगर वे निगम प्रशासन को सही बताते हैं तो फिर नगर निगम परिषद की ओर से हाईकोर्ट में प्लॉट धारियों के विरुद्ध कौन पैरवी करेगा।

राज्य शासन ने आयुक्त को किया था निलंबित

बता दें कि साधारण सम्मेलन में परिषद में रजिस्ट्री करवाने वाले उपायुक्त विकास सोलंकी से भी सभी विभागों का दायित्व छीन लेने का निर्णय लिया था। परिषद द्वारा सभी रजिस्ट्रियां शून्य घोषित कराने की कार्रवाई का निर्णय होने के बाद मामला राज्य शासन तक पहुंचा था। इसके चलते शासन ने आयुक्त एपीएस गहरवार को निलंबित कर दिया था। उनके स्थान पर पूर्व आयुक्त हिमांशु भट्ट को पुनः निगम की कमान सौंपी गई है।

रजिस्ट्रीधारियों ने राहत की सांस और इधर बढ़ गई चिंता

हाईकोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन से प्लॉटधारियों ने राहत की सांस ली है। उन्हें यकीन है कि नगर परिषद द्वारा लिया गया निर्णय न्यायालय में आधारहीन साबित होगा। वहीं रजिस्ट्रियों को चुनौती देकर उसे शून्य घोषित करवाने का निर्णय पारित होने पर राहत थी उनकी चिंता बढ़ गई है। उनके सामने हाईकोर्ट में नगर निगम परिषद द्वारा लिए गए निर्णय के पक्ष में प्रबल पैरवी का संकट खड़ा हो गया है।

...और चर्चाओं का बाजार भी हुआ गर्म

सम्मेलन में विरोध के स्वर सुनाई देने के बाद से ही यह चर्चा चल पड़ी है कि रजिस्ट्री करवाने वाले कथित भू-माफिया ने विरोध करने वालों को साधने के प्रयास तेज कर दिए हैं। माना जा रहा है कि उनका प्रयास रहेगा कि न्यायालय  में परिषद के निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत याचिका का कोई विरोध नहीं हो। सूत्र कर रहे हैं कि इसके लिए प्रभावित पक्ष कुछ भी करने को तैयार हैं। हालांकि, इस बारे में अभी कोई भी खुल कर बोलने को तैयार नहीं है। यानी यदि न्यायालय में दायर हुई रजिस्ट्रीधारकों की याचिका पर कोई विरोध दर्ज नहीं कराया जाता है तो निगम परिषद के रजिस्ट्रीय शून्य घोषित करवाने का निर्णय प्रभावित हो सकता है। यह इसलिए भी कहा जा रहा है कि रजिस्ट्री नगर निगम प्रशासन ने कराई और न्यायालय में पैरवी के दौरान उसका और उसके अभिभाषक का जोर रजिस्ट्रियां सही साबित करने पर रहेगा।

सीएम से हो सकती है शिकायत

सूत्र बता रहे हैं कि नगर निगम प्रशासन द्वारा कराई गई रजिस्ट्रियों को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से रतलाम प्रवास के दौरान शिकायत की जा सकती है। कुछ लोग इस बारे में उनसे मिलने की कवायद में भी जुटे हैं।