एसीएन टाइम्स @ रतलाम । यह सिर्फ एक खबर नहीं है। आप भी इसे खबर रूप में नहीं पढ़ें बल्कि सेवा, संस्कार, समर्पण और साकारात्मकता का बोध कराने वाले कार्य का स्मरण करते हुए इसके महत्व को स्वीकार करें और आगे बढ़ाएं। यह ऐसे कार्य से प्रभावित हुए लोगों की बिना लाग-लपेट वाली अभिव्यक्ति है जिसमें सच्ची सेवा का सही तरीका, उत्साहित करने वाला जज्बा और उसके प्रभावी परिणाम देने की सार्थकता समाहित है। एसीएन टाइम्स ऐसे कार्य और प्रयासों का सम्मान करता है इसी भाव से इसे आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। शहर के वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता, शिक्षविद् और चिंतक “कपिल व्यास” के शब्दों ज्यों के त्यों...
कल, यानी 29 मई (रविवार) को महलवाड़े के अंदर श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में सुबह 11 बजे से कुछ युवा आये। धीरे-धीरे संख्या बढ़ने लगी।
कुछ ने झाड़ू उठाई, किसी ने बाल्टी में पानी लिया और पोछा लगाने लगे। कुछ मंदिर की घण्टी व पूजा के अन्य लगने वाले बर्तनों को साफ करने में मनोयोग से बगैर शोर-शराबे के अपने कार्य मे तल्लीनता से लग गए। फिर कुछ और युवा जुड़ गए, पूरे मंदिर की सफाई करते रहे, उत्साहित मन से दोपहर करीब 1.30 बजे तक सेवा करते रहे।
फिर रुद्राष्टकम पढ़ते व बोलते हुए शिवलिंग पर अभिषेक किया, आरती करी और प्रसाद वितरण किया।
हृदय को बहुत प्रसन्नता हुई, कि- ये युवा पीढ़ी जिसे हम नकारा व बिगड़ी हुई बताते हुए कोसते रहते हैं, उनके द्वारा पुराने नए सभी अलग-अलग मंदिरों में प्रति रविवार जाकर सेवा देती है।
इसमें सिर्फ लड़के ही नहीं, लडॉकिया भी जुड़ी हुई हैं जिनमें 6 साल की बच्ची से लेकर 70 वर्ष के अनुभवी बुजुर्ग भी हैं।
साथ ही उत्साहवर्धन के लिए ‘अदिति दवेसर (एडवोकेट)’ व अन्य महिलाएं और पुरुष भी इसमें जुड़े हुए हैं।
पिछले 2 वर्षों से ‘रुद्र महाकाल सेवा समिति’ इस कार्य को चरैवेति भाव से करती आ रही है। मेरे मन को अच्छा लगा, आप सब भी जुड़कर इनका उत्साहवर्धन करें।
मन में आया कि इन बच्चों के कार्य को रुपये-पैसे से नहीं आंका जा सकता है, फिर भी इनके लिए कुछ तो करें। मैंने पर्यावरण के जागरूक व सतत कार्यशील साथी ‘सुनील गुप्ता’ को कॉल किया। उनसे पूछा, कि- ‘इन बच्चों के लिए कुछ कर सकते हैं?’
उनका जवाब था- ‘बिल्कुल’ …और उन्होंने अगले 20 मिनट में ‘स्नेक प्लांट’ के 40 पौधे भिजवा दिए और वह भी पूर्ण सेवा भाव से यानी निःशुल्क।
सुनील का हृदय तल से आभार। धन्यवाद, अदिति जी व सभी साथियों का जिन्होंने अपनी सेवाएं दी। हमारा भी दायित्व बनता है कि ऐसे कार्यों को आगे बढ़ाएं।