मकान में गंदगी न करे इसलिए लावरिस कुत्ते के बच्चे की कर दी हत्या, महिला वकील ने दर्ज करवा दी FIR

रतलाम के स्टेशन रोड थाने में लावारिस कुत्ते के बच्चे की हत्या के मामले में एक व्यक्ति के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है। केस एक महिला वकील की शिकायत पर दर्ज किया गया।

मकान में गंदगी न करे इसलिए लावरिस कुत्ते के बच्चे की कर दी हत्या, महिला वकील ने दर्ज करवा दी FIR

एसीएन टाइम्स @ टाइम्स । गंदगी से त्रस्त एक व्यक्ति द्वारा लावारिस कुत्ते के बच्चे की हत्या करने का मामला सामने आया है। घटना की प्रत्यक्षदर्शी महिला वकील ने संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है।

 स्टेशन रोड पुलिस के अनुसार पंचवटी अपार्टमेंट अजंता टॉकीज रोड रतलाम निवासी एडवोकेट शिल्पा जोशी ने शिकायत दर्ज कराई है। इसमें बताया कि वे गुरुवार सुबह करीब 11.30 बजे कोर्ट जाने के लिए जनक हॉस्पिटल वाली गली से जा रही थीं। तभी झीन वाले बाबा की दरगाह के पास मेडिकल स्टोर के सामने निर्माणाधीन मकान में काम करने वाले चौकीदार भेरूलाल पिता शंकरलाल भूरिया (45) ने कुतिया के एक बच्चे को गला दबाकर मार दिया।

एडवोकेट जोशी ने बताया कि चौकीदार भेरूलाल कुत्ते के बच्चों को पैरों से मार रहा था। इस दौरान वह कह रहा था कि ये (कुत्ते के बच्चे) हमारा मकान गंदा करते हैं। आज एकाध को मार ही देता हूं। ऐसा कह कर उसने एक बच्चे को उठाया और उसे मार कर सड़क पर फेंक दिया। उसका कहना था कि मैं सभी को मार दूंगा। हमारे घर में कुतिया के बच्चे नहीं आना चाहिए। जोशी के अनुसार घटना के प्रत्यक्षदर्शी एडवोकेट संदीप वर्फे भी हैं। उनका पास ही के नवकार अपार्टमेंट में ऑफिस है और मेरी आवाज सुनकर वे बाहर आ गए थे। एडवोकेट जोशी की शिकायत पर आरोपी भेरूलाल पिता शंकरलाल के विरुद्ध धारा 429 में प्रकरण दर्ज किया गया है।

जानिए, क्या है धारा 429 और सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के अनुसार, जो भी कोई किसी हाथी, ऊंट, घोड़े, खच्चर, भैंस, सांड़, गाय या बैल को, चाहे उसका कुछ भी मूल्य हो, या 50 रुपए या उससे अधिक मूल्य के किसी भी अन्य जीवजन्तु का वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने द्वारा कुचेष्टा करेगा तो उस  कार्रवाई की जाएगी। इसमें किसी एक अवधि के लिए कारावास का प्रावधान है। कारावास की अवधि पांच वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। आर्थिक दण्ड अथवा दोनों से भी दण्डित किया जा सकता है। अपराध जमानती होकर संज्ञेय है। इसके विचारण का अधिकार प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश को है। अपराध संबंधित जानवर के स्वामी द्वारा समझौता करने योग्य है।