जिस झूलेलाल मंदिर के कथित कर्ज को लेकर सिंधी समाज में मचा घमासान, उसके ट्रस्टी बोले- हमें न किसी से रुपया लेना है और न ही किसी को देना है
इन दिनों सिंधी समाज में चंद रुपयों को लेकर घमासान मचा हुआ है। एसीएन टाइम्स ने इससे जुड़े कुछ पहलुओं को टटोलने का प्रयास किया ताकि जनसंख्या में छोटे समाज के बड़ा रुतबा कम न हो ने पाए।

बड़े रुतबे वाले जनसंख्या में छोटे सिंधी समाज में वर्चस्व का द्वंद्व, चंद रुपयों के लिए मचा घमासान
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । झूलेलाल मंदिर का कर्ज बकाया होने को लेकर सिंधी समाज में घमासान मचा है। उक्त कर्ज और एक अन्य आयोजन का शेष रुपया वापस दिलवाने को लेकर समाज का एक पक्ष पुलिस तक जा चुका है। वहीं दूसरा पक्ष समाज पर ऐसा कोई कर्ज बकाया नहीं होने की बात कहकर पहले पक्ष को झुठलाने का प्रयास कर रहा है। इस बीच एसीएन टाइम्स ने झूलेलाल मंदिर से जुड़े ट्रस्ट के पदाधिकारी से बात की तो उन्होंने कर्ज वाली बात सिरे से ही खारिज कर दी। पदाधिकारी ने कहा कि- हमें न तो किसी से कोई रुपया लेना है और न ही किसी को देना है।
शहर में आबादी के लिहाज से सिंधी समाज बहुत छोटा सा है। इसकी आबादी 4 हजार के आसपास है। हालांकि कारोबार की दृष्टि से इसका बड़ा रुतबा है। संख्या में कम होने के बाद भी समाज तकरीबन 15 संगठनों / संस्थाओं में बंटा हुआ है। अभी तक तो यह तम भिन्नता धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं के तहत ही देखी जा रही थी लेकिन अब समाजन में मनभेद भी उभर रहे हैं। इसकी वजह समाज का प्रतिनिधित्व करने वालों में जारी वर्चस्व का द्वंद्व है। समाज के सभी सोशल मीडिया एकाउंट में यह वर्चस्व की लड़ाई हावी है।
पंचायत अध्यक्ष व समर्थकों के कदम ने किया आग में घी का काम
पूज्य सिंधी समाज के अध्यक्ष आर. के. सतवानी और उनके समर्थकों द्वारा समाज की ही कविता नैनानी नामक एक विधवा महिला पर समाज के रुपए नहीं लौटाने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई है। सूदखोरी के संगीन मामलों में आरोपी सतवानी और उनके समर्थकों ने उक्त महिला को अपने ही स्तर पर दोषी भी ठहरा दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने महिला का पक्ष लेने वाले युवा कमल गुरनानी को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। इसने आग में घी का काम किया है। पहले जो मामला समाज के चंद लोगों तक सीमित था, वह अब सार्वजनिक हो गया है और पूरा समाज दो धड़ों में बंटा नजर आ रहा है। एक धड़ा सिंधी पंचायत अध्यक्ष सतवानी के पक्ष में है तो दूसरा विधवा महिला के पक्ष में। कुछ लोग मौन दर्शक बनकर देख रहे हैं।
जितने मुंह उतने कर्ज की बात
विधवा महिला पर समाज के 85 हजार रुपए नहीं लौटाने की बात कहने वाले सिंधी पंचायत अध्यक्ष व समर्थक यह भी प्रचारित कर रहे हैं कि समाज पर श्री झूलेलाल मंदिर का लाखों रुपए का कर्ज भी बकाया है। इस कथित कर्ज की राशि को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। कोई मंदिर का समाज पर 8 लाख रुपए बकाया होना बताया जा रहा है तो कोई 13-14 लाख और कोई 16 लाख रुपए बाकी बता रहा है।
मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी ने कही यह बड़ी बात
इधर, सिंधी पंचायत अध्यक्ष और उनके समर्थकों द्वारा लगाए के आरोपों से घिरे कमल गुरनानी ने कर्ज की वस्तुस्थिति जानने के लिए सीधे श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट के पदाधिकारियों से ही बात कर ली। उन्होंने ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सत्यनारायण कसेरा से बात की। कसेरा ने उन्हें बताया कि श्री झूलेलाल मंदिर का निर्माण श्री कालिका माता मंदिर सेवा मंडल ट्रस्ट द्वारा किया गया था जिसमें मूर्ति सिंधी समाज द्वारा स्थापित की गई थी। उक्त मंदिर की सारी व्यवस्थाओं का जिम्मा सेवा मंडल ट्रस्ट के जिम्मे है। कसेरा के अनुसार पूर्व में मंदिर में मार्लब आदि का काम इरफान नामक व्यक्ति द्वारा किया गया था जिसका 16 लाख रुपए का भुगतान बैंक ऑफ बड़ौदा के चेक के माध्यम से उसे किया जा चुका है। इसका नियमानुसार टीडीएस भी काटा गया था जो संबंधित विभाग में जमा हो चुका है। कसेरा के मुताबिक अब श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट को न तो किसी से कोई रुपया लेना है और न ही किसी को देना है। उन्होंने सिंधी समाज की विधवा महिला पर मंदिर के 85 हजार रुपए बकाया होने संबंधी भी कोई बात नहीं कही। ट्रस्ट कोषाध्यक्ष कसेरा ने एसीएन टाइम्स से भी दूरभाष पर चर्चा के दौरान इसकी पुष्टि की।
यह अपील भी कुछ कहती है, पढ़िए और समझिए...
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, पूज्य सिंधी पंचायत रतलाम।
कुछ दिनों से आपके एवं पंचायत पदाधिकारों द्वारा सिंधी सेवा समिति पर जो अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं उससे सिंधी सेवा समिति के सभी सेवादारों की भावनाएं आहत हुई हैं क्योंकि यह समिति नि:स्वार्थ भाव से जन सेवा कार्य करती है। सिंधी पंचायत के इस कृत्य की सभी सेवादार निंदा करते हैं। श्री रमेश चोइथानी द्वारा शव पेटी को लेकर जो बार-बार कथन कर समाज को भ्रमित किया जा रहा है उसके बारे में पूरे सिंधी समाज के समक्ष हम स्थिति स्पष्ट करना चाहते हैं कि श्री रामेश चोइथानी एवं श्री चंद्रप्रकाश अवतानी दोनों स्वयं आकर सिंधी सेवा समिति को शव पेटी देने हेतु प्रस्ताव देकर गए थे तथा कह गए थे कि सिंधी सेवा समिति ही एक ऐसी संस्था है जो इस राशि का सही-सही सदुपयोग कर सकेगी। अन्यथा हमारे यहां जो भी काम होगा कालिका माता ट्रस्ट का ही कहलाएगा। अतः यदि सिंधी सेवा समिति श्रीमती कविता नैनानी से चर्चा कर शव पेटी हेतु चेक पर हस्ताक्षर करवा ले तो हम दोनों सदस्य भी हस्ताक्षर कर देंगे।
इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सिंधी सेवा समिति द्वारा कविता नैनानी से संपर्क किया गया तो कविता नैनानी ने पूर्णतः अपनी सहमति प्रकट करते हुए चैक पर हस्ताक्षर कर दिया। परंतु, जब इस चेक पर हमने रमेश चोईथानी और चंद्रप्रकाश अवतानी से हस्ताक्षर हेतु संपर्क किया गया तो दोनों ने चेक पर हस्ताक्षर करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। उनके इस कृत्य के कारण मामला उलझ गया और अब समाज को भ्रमित कर श्रीमती कविता नैनानी पर लांछन लगाया जा रहा है कि वह पैसा देना नहीं चाहती है और पूज्य पंचायत द्वारा भी इन गलत तथ्यों का समर्थन कर सिंधी सेवा समिति को इसमें घसीटा जा रहा है और इसमें श्री पंकज शर्मा सबसे आगे हैं। बिना चुनाव लड़े ही दान में मिले पद पर काबिज श्री पंकज शर्मा की तुच्छ राजनीति, छोटी सोच और समाज को विघटन रखने वाली सोच से सारा समाज परिचित है।
हम पूज्य पंचायत से अपील करते हैं कि आप अपने व्यक्तिगत राजनीतिक हित के लिए समाज को आपस में न लड़वाए और दबाव की राजनीति से बचें। पंचायत के सभी पदाधिकारी अपनी अपनी मर्यादा बनाए रखें और समाज को गुमराह करने से बचें। हम समाज की ओर पंचायत के पदाधिकारियों को यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि समाज के ओर अन्य समाज के दानदाताओं के सहयोग से एक नई शव पेटी प्राप्त हो गई है। सिन्धी सेवा समिति पर ईश्वर की कृपा है। वह कहीं पैसे मांगने नहीं जाती है और न ही किसी अन्य संस्था के पैसों पर गलत दृष्टि रखती है। जिस काम के लिए यह इच्छा रखती है ईश्वर उसके लिए रास्ते खोल देता है और झोली भर देता है। अतः निवेदन है कि आप सभी अपनी-अपनी मर्यादा में रहकर सभी की भावनाओं का आदर करें क्योंकि यह एक सच्चे और बेहतर नागरिक और पंच का कर्तव्य है। आप सभी समाज में एकता का परिचय देकर समाज को नई दिशा प्रदान करें क्योंकि एकता में ही शक्ति है। जय झूलेलाल।
सभी सेवादार सिन्धी सेवा समिति, रतलाम
(सोशल मीडिया से प्राप्त)
सिंधी पंचायत अध्यक्ष की चुप्पी और इसके मायने
वास्तव में सिंधी समाज पर श्री झूलेलाल मंदिर का संचालन करने वाल ट्रस्ट का कोई कर्ज बाकी है भी या नहीं और है तो कितना, इस बारे में एसीएन टाइम्स ने पंचायत अध्यक्ष सतवानी से कुछ सवाल किए। परंतु, सतवानी ने उन सवालों के जवाब देना जरूरी ही नहीं समझा। यहां तक कि सोशल मीडिया पर पत्रकारों को पत्रकारिता के नियम कायदे सिखाने वाले पंचायत अध्यक्ष के करीबी पंकज शर्मा (समाज के मीडिया प्रभारी) भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं कर पाए। हालांकि उन्होंने समाज के रमेश चोइथानी का सिंधी पंचायत को लिखा एक पत्र जरूर उपलब्ध कराया जिस पर 29 जनवरी की तारीख तो अंकित है किंतु वर्ष नजर नहीं आ रहा है। दूसरा पक्ष इस पत्र में लिखी बात की वैधानिकता पर इसलिए सवाल उठाया जा रहा है क्योंकि चोइथानी खुद भी श्री सिंधी पंचायत अध्यक्ष के करीबी हैं।
सवाल, जिनके सिंधी पंचायत अध्यक्ष नहीं दे सके जवाब
- सिंधी समाज (ग्रुप / व्यक्ति विशेष / या पूरा समाज) पर झूलेलाल मंदिर में कराए गए काम के कुल कितने रुपए का कर्ज है ? क्या इस मंदिर का संचालन और सारी व्यवस्थाएं आदि सिंधी समाज के माध्यम से संपादित होती हैं या श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट द्वारा ?
- यदि झूलेलाल मंदिर में कराए गए काम का भुगतान श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट द्वारा कर चुका है तो फिर सिंधी समाज या समाज के किसी व्यक्ति पर कर्ज कैसा ?
- क्या झूलेलाल मंदिर के उक्त जिर्णोद्धार और मार्बल के कार्य पर होने वाले खर्च के भुगतान के लिए सिंधी समाज, समाज की किसी संस्था / संगठन या व्यक्ति की ओर से वादा किया गया था ?
- अगर किसी ने कोई वादा नहीं किया था तो फिर समाज अथवा व्यक्ति अथवा संस्था पर कर्ज बकाया कैसे हुआ ? यदि कोई कर्ज या बकाया नहीं है तो फिर ट्रस्ट समाज या समाज के व्यक्ति से रुपए कैसे मांग सकता है ?
- क्या वाकई, श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट द्वारा ऐसे किसी कर्ज की अदायगी के लिए समाज / संस्था / संगठन / व्यक्ति से लिखित में कोई तगादा (मांग) किया गया है ?
- क्या श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट द्वारा उक्त राशि की वसूली करवाने के लिए सिंधी समाज के किसी व्यक्ति / संस्था / समाज / संगठन आदि को जिम्मेदारी सौंपी है...?