ब्रेकिंग न्यूज़! रतलाम में बिना लाइसेंस चल रही छांछ और लस्सी पैकेजिंग फैक्टरी, हर पैकेट का वजन अलग, MRP भी गायब
नापतौल विभाग ने रतलाम में बिना लाइसेंस के छांछ और लस्सी की पैकेजिंग का कारखाना पकड़ा। विभाग ने संचालक के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया है।
- नापतौल विभाग ने मारा फर्म पर छापा
- रतलाम के हाकिमवाड़ा क्षेत्र में दी दबिश
- मयूर डेयरी फार्म्स पर मारा छापा
- पत्रकार की शिकायत पर हुई बड़ी कार्रवाई
- संचालक पर हो सकता है बड़ा जुर्माना
एसीएन टाइम्स @ रतलाम। रतलाम शहर के हाकिमवाड़ा क्षेत्र में अवैध डेयरी फार्म संचालित करने का मामला सामने आया है। यहां मयूर डेयरी फार्म्स नामक संस्था में बिना लाइसेंस के छांछ और लस्सी की पैकेजिंग होते पाई गई है। इतना ही नहीं यहां प्लास्टिक के पाउच और जार में सामग्री भी बिना वजन या नाप के अंदाज़े से ही भरी जा रही थी। पैकेट पर एमआरपी और सेल यूनिट भी लिखी नहीं मिली।
यह बड़ा खुलासा नापतौल विभाग द्वारा एक शिकायत के चलते गुरुवार को दी गई दबिश के दौरान सामने आई। नापतौल विभाग की टीम ने हाकिमवाड़ा (लंबी गली) स्थित मयूर डेरी फार्म्स पर कार्रवाई की। यहां छाछ और लस्सी तैयार कर पाउच और जार में भर बेची जाती है। टीम ने छांछ और लस्सी के पैकेट और जार का वजन किया तो उनका वजन अलग-अलग मिला। टीम ने यहां मौजूद कर्मचारियों से वजन करने के लिए उपयोग होने वाले माप मांगे तो वे भी नहीं मिले। पता चला कि सामग्री बगैर माप के ही अंदाज से पैक की जा रही है।
ये अनियमितताएं मिलीं, प्रकरण दर्ज
यहां तैयार होने वाले पैकेट पर न तो स्पष्ट रूप से एमआरपी लिखी मिली और न ही यूनिट सेल। टीम ने पैकेजिंग का लाइसेंस मांगा तो डेयरी फार्म संचालक कुलदीपसिंह गौड़ वह भी नहीं दिखा सका। इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे का सत्यापन भी नहीं पाया गया। इस मामले में नापतौल विभाग ने दुकान संचालक पर प्रकरण दर्ज किया है।
छाछ के पाउच और लस्सी के जार जब्त
नापतौल विभाग के सहायक नियंत्रक भारत भूषण ने एसीएन टाइम्स को बताया कि मयूर डेयरी फार्म्स पर जांच की गई। फर्म पर पैकेजिंग का लाइसेंस नहीं मिला। पैकेजिंग लाइसेंस डेयरी संचालक प्रस्तुत नहीं कर पाया। वहीं इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे का सत्यापन प्रमाण पर भी नहीं मिला है। जो सामग्री पाउच और जार में पैक की जा रही थी उसकी मात्रा भी असमान पाई गई। सामग्री मापने के उपकरण भी नहीं मिले। अतः यहां से छांछ, लस्सी और इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटा आदि जब्त कर संचालक कुलदीप सिंह गौड़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है।
इतने जुर्माने का है प्रावधान
नापतौल विभाग के सहायक संचालक भारत भूषण के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक तौलकांटे का नापतौल विभाग से सत्यापन कराना जरूरी है। सत्यापन नहीं कराने पर 10 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही पैकेजिंग एक्ट के अनुसार किसी भी पैकेट पर यूनिट सेल, एमआरपी सहित अन्य जानकारियां लिखना अनिवार्य है। पैकेजिंग एक्ट का उल्लंघन करने पर नोटिस जारी किया जाता है। नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं होने पर न्यायालय में वाद दायर किया जाता है। दोष सिद्ध होने पर इसमें 25 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
ऐसे चला फर्जीवाड़े का पता
बता दें कि, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला ने 19 अगस्त 2025 को रतलाम से ललितपुर जाते समय साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के अंदर एक वेंडर से छांछ के पैकेट खरीदे थे। सावधानी बरतने के लिहाज से उन्होंने छांछ के पाउच पर मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट चैक की तो उसमें 19 अगस्त 2025 लिखी थी। चुंकि ट्रेन रतलाम से अलसुबह ही चल दी थी अतः पाउच पर उसी दिन की तारीख दर्ज होना संदेह पैदा कर रहा था। फिर पैकेट पर एमआरपी के स्थान पर राशि का उल्लेख न होकर 1 N प्रिंट था। इससे शुक्ला ने उक्त पाउच के फोटो नापतौल विभाग के सहायक संचालक भारत भूषण, फूड सेफ्टी ऑफिसर प्रीति मंडोरिया सहित अन्य अधिकारियों को वाट्सएप के माध्यम से भेजी। इसे नापतौल विभाग के सहायक संचालक ने गंभीरता से लेते हुए बुधवार को ही पाउच पर लिखे पते और फर्म की तलाश हाकिमवाड़ा क्षेत्र में की। सफलता नहीं मिलने पर गुरुवार को दोबारा सर्चिंग की तो हाकिमवाड़ा के पास लम्बी गली में एक स्थान पर उक्त फर्म मिल गई।
रेलवे में धड़ल्ले से हो रही सप्लाई !
बताया जा रहा है कि बिना लाइसेंस और बिना नापतौल के पैक कर बेची जा रही सामग्री रतलाम रेल मंडल में बड़ी मात्रा में खपाई जा रही है। बड़ा सवाल यह है कि रेलवे में कुछ भी सप्लाई करने की जटिल प्रकिया और सख्त नियम के बाद भी ऐसी वस्तुओं की सप्लाई कैसे हो पा रही है? गौरतलब है कि इसी साल मार्च में रतलाम रेलवे स्टेशन पर एक्सपायरी डेट की कोल्डड्रिंक बेचने का मामला भी सामने आया था। तब अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी।