ब्राह्मण प्रतिभाओं का रजत पदक से किया सम्मान, छात्रवृत्ति भी प्रदान की, अतिथियों ने विद्यार्थियों को जीवनभर सीखते रहने की सीख दी
रतलाम में ब्राह्मण समाज छात्रवृत्ति एवं आर्थिक सहायता न्यास का 31वां प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित हुआ। 55 से अधिक प्रतिभाओं और विशिष्ट हस्तियों को सम्मानित किया गया, 40 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई। डॉ. जयंत सूबेदार को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड।

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ब्राह्मण समाज छात्रवृत्ति एवं आर्थिक सहायता न्यास का अनूठा प्रकल्प
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न्यास विद्यार्थियों प्रोत्साहित करने के लिए 31 वर्ष से कर रहा आयोजन
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डॉ. जयंत सूभेदार को प्रदान किया लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । ब्राह्मण समाज छात्रवृत्ति एवं आर्थिक सहायता न्यास का 31वां प्रतिभा सम्मान समारोह रविवार को संपन्न हुआ। समारोह में ब्राह्मण परिवारों की 55 से ज्यादा प्रतिभाओं और विशिष्ट व्यक्तियों को शुद्ध रजतक पदक प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। 40 से अधिक विद्यार्थियों को पुस्तकें क्रय करने के लिए छात्रवृत्ति भी प्रदान की। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जयंत एम. सूबेदार को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अतिथियों ने ज्ञान को सबसे ताकतवर बताते हुए जीवनभर विद्यार्थी बनकर सीखते रहने की सीख दी।
प्रतिभा सम्मान समारोह शहर के होटल नारायणी पैलेस में आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि मप्र परशुराम कल्याण बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष पं. विष्णु राजोरिया, महाराजा सयाजी विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार नवीन ओझा एवं रतलाम डीआरएम अश्विनी कुमार रहे। अतिथियों ने माता सरस्वती और ब्राह्मणों के आराध्य देव परशुराम की पूजा-अर्चना कर दीपप्रज्ज्वलित किया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत न्यास अध्यक्ष डॉ. अमर सारस्वत, सचिव अनुराग लोखंडे, गिरीश सारस्वत, लगन शर्मा, संजय ओझा, सत्येंद्र जोशी, श्याम उपाध्याय आदि ने किया।
प्रोत्साहन का बीज जो वटवृक्ष बन गया
न्यास अध्यक्ष डॉ. सारस्वत ने स्वागत भाषण के साथ न्यास का परिचय ने दिया। उन्होंने बताया कि 1994 में 6 वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु छात्रवृत्ति देने के लिए न्यास की स्थापना की गई थी। तब से अब तक करीब 5 हजार विद्यार्थी लाभान्वित हो चुके हैं। हर साल 80 फीसदी से ज्यादा अंक लाने वाले 80-90 विद्यार्थियों सम्मानित होते हैं। इसके अलावा जरूरतमंदों को कंबल, ऊनी वस्त्र, जूते वितरण, पौधारोपण, स्वास्थ्य शिविर जैसे प्रकल्प भी चलते हैं।
फिल्म द्वारा बताई 31 साल की गौरव गाथा
अतिथि परिचय फोटो जर्नलिस्ट लगन शर्मा ने दिया। उन्होंने न्यास की 31 वर्षीय सेवा के सफर और गौरव गाथा पर बनाई तीन मिनट की फिल्म का प्रदर्शन भी किया। इस सेवा कार्य से प्रभावित होकर प्रकाश लोखंडे, मुकेश पालीवाल एवं शुभम् सारस्वत ने भी न्यास से जुड़ने की इच्छा जताई जिनका पदाधिकारियों ने नए न्यासी के रूप में अभिनंदन किया।
इन्हें मिले विशिष्ट सम्मान
एमडी (मेडिसिन) डॉ. जयंत सूभेदार को डॉ. निशिकांत शर्मा स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड न्यास की मार्गदर्शक पद्मश्री डॉ. लीला जोशी व अतिथियों ने प्रदान किया।
साहित्य मनीषी डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला एवं साहित्यकार आशीष दशोत्तर को साहित्य रत्न पुरस्कार, विनीता ओझा को विशिष्ट शिक्षक सम्मान एवं श्रवण बाधित शिक्षक रामचंद्र गोखले को उत्कृष्ट सेवा सम्मान प्रदान किया गया।
शिक्षा में विशेष उपलब्धियां के लिए निरुक्त करंदीकर, मंदार करंदीकर, दिव्य लोखंडे, सोना नागर का अभिनंदन हुआ।
तत्पश्चात विभिन्न परीक्षाओं में 80 फीसदी से ज्यादा अंक वाली प्रतिभाओं को पुरस्कार और छात्रवृत्तियां दी गई। संचालन विनीता ओझा व गिरीश सारस्वत ने किया एवं आभार सचिव अनुराग लोखंडे ने माना। इस दौरान साहित्य, शिक्षा, समाजसेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी विप्र हस्तियां उपस्थित रहीं।
‘हमारी ZEN-G नेपाल के जैसी नहीं’
शिक्षा में निरंतरता परम् आवश्यक है, प्रतिदिन सीखना चाहिए चाहे उम्र कितनी भी हो। नेपाल में ZEN-G (विद्यार्थियों) ने पूरा नेपाल नष्ट कर दिया किंतु हमारे विद्यार्थी ऐसे नहीं हैं। विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है और उससे संपन्नता आती है। आधुनिक शिक्षा अवश्य ग्रहण करें किंतु सनातन के मूल्यों से समझौता न करें।
पं. विष्णु राजोरिया, प्रदेश अध्यक्ष- मप्र परशुराम कल्याण बोर्ड
‘ज्ञान की ताकत ताउम्र सम्मान दिलाएगी’
तीन पॉवर (शक्तियां) मनी, मसल और पोलिटिकल प्रमुख हैं लेकिन ये हमेशा नहीं रहतीं किंतु एजुकेशन पॉवर (ज्ञान की शक्ति) जीवनभर साथ रहता है और सम्मान दिलाता है। सभी विद्यार्थी हैं इसलिए पूरी उम्र पढ़ते रहें, सीखते रहें, खुद को अपडेट करते रहें, सिर्फ अपनी ही नहीं बल्कि दूसरे की विधा और क्षेत्र के बारे में भी।
नवीन ओझा, पूर्व रजिस्ट्रार- महाराजा सयाजी विश्वविद्यालय, वडोदरा
‘ब्राह्मण होना जिंदगीभर ज्ञान आर्जित करने की प्रक्रिया’
ब्राह्मण सिर्फ जाति नहीं, जिंदगीभर ज्ञान (शिक्षा) अर्जित करते रहने की प्रक्रिया है। राजा-नेता आदि सीमित क्षेत्र तक सम्मान पाते हैं किंतु ज्ञान का सम्मान पूरी दुनिया में होता है। शिक्षा बिना जीवन खुशबू रहित फूल है और नैतिक मूल्यों के बिना शिक्षा अधूरी है। अच्छी शिक्षा के साथ मोरल कांसस और फिजिकल फिटसनेस जरूरी है।
अश्वनी कुमार, मंडल रेल प्रबंधक, रतलाम