नीर_का_तीर : आपको पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है तो यह आपकी बला से, हमें अभी सड़कें व डिवाइडर धोना हैं, क्योंकि हमारे अफसर इसी से खुश होते हैं

एक ओर रतलामवासी भरी गरमी में पानी के लिए तरस रहे हैं तो दूसरी ओर नगर निगम रोज हजारों लीटर पानी व्यर्थ बहा रहा है। स्वच्छता के नाम पर रोज फायर फाइटर से डिवाइडर और सड़क धोने के लिए पानी उलीचा जा रहा है। अंधेर नगरी में अफसरों को खुश करने के लिए हो रही पानी की इस बर्बादी को रोकने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है।

नीरज कुमार शुक्ला

‘मालव माटी गहन गंभीर, पग-पग रोटी डग-डग नीर...’ यह कहावत हम सभी ने एक-दो बार नहीं बल्कि अनेकों बार सुनी है। हमें यह भले ही याद न हो लेकिन हमारे (रतलाम के) जिम्मेदारों और नगर सरकार के कारिंदों को शायद यह शब्दशः याद है और उन्होंने इसे समझ भी ज्यादा लिया है। यही वजह है कि वे सड़कों पर पानी बहाकर मालवा के इस शहर में ‘डग-डग नीर’ वाली बात चरितार्थ करने का कोई अवसर नहीं चूकते। अगर मेरी बात पर यकीन न हो रहा हो तो इस आलेख के साथ अटैच वीडियो देख लीजिए। आपको ‘अंधेर नगरी’ का उदाहरण देखने कहीं और नहीं जाना पड़ेगा।

महात्मा गांधी के स्वच्छता के संदेश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपनाने का आह्वान किया। नतीजतन पूरे देश में स्वच्छता में ऊंची रैंक लाने की होड़ मची है। कई कस्बों और शहरों में जहां यह जनआंदोलन का रूप ले चुका है, वहीं हमारे शहर में यह 'प्रयोगों' और 'बर्बादी' का जरिया बनता नजर आ रहा है। मजह 135 किमी की दूरी पर स्थित इंदौर शहर स्वच्छता के नाम पर 6 साल से अव्वल है वहीं रतलाम अभी तक स्वच्छता के पथ पर ठीक से रेंगना भी नहीं सीख पाया है। इसलिए (अ)व्यवस्था में लगा अमला थोड़े को ज्यादा दिखाकर अफसरों को खुश करने की जुगत भिड़ाने में लगा रहता है।

स्वच्छा की कसौटी में हमारे जिम्मेदारों के दावे कितने खरे हैं यह जानना हो तो शहर के आंतरिक हिस्सों और कॉलोनियों में झांक लीजिए। लोग लगभग रोज नगर निगम के स्वच्छता अमले को कम, अपनी किस्मत को ज्यादा कोस रहे हैं। बावजूद जनप्रतिनिधि और अफसर अपनी झांकी जमाने में लगे हैं। इसी झांकीबाजी के फेर में गाहे-ब-गाहे नगर निगम के अफसरों और जिम्मेदारों को खरी-खोटी भी सुनी पड़ जाती है। इससे बचने के लिए अमले ने 'कम करो या न करो लेकिन काम की फिक्र जोर-शोर से करो और उसका जिक्र तो उससे भी ज्यादा ताकत से करो' की नीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सोशल मीडिया पर 'स्वच्छता की फिक्र का जिक्र' करते हुए फोटो और वीडियो तेजी से साझा किए जा रहे हैं। इसमें स्वच्छता के नाम पर हो रही पानी की बर्बादी के वीडियो भी शामिल हैं।

पानी की बर्बादी... तारीख - 8 जून, 2022, समय - रात 01.00 बजे, स्थान - अलकापुरी, सैलाना रोड।

पानी की बर्बादी... तारीख - 9 जून, 2022, समय - रात 12.57 बजे, स्थान - अलकापुरी, सैलाना रोड।

पानी की बर्बादी... तारीख - 9 जून, 2022, समय - रात 12.59 बजे, स्थान - अलकापुरी, सैलाना रोड।

शहर के आंतरिक इलाके साफ दिखें या न दिखें, फोरलेन और डिवाइडर जरूर चमकने चाहिए, इस पर हमारी नगर सरकार का फोकस ज्यादा नजर आ रहा है। जिस फायर लॉरी और पानी को आपात स्थिति में आग पर काबू पाने के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए, उससे डिवाइडर व सड़क धोने के लिए पानी उलीचना (बहाना) तो यही दर्शाता है। शहर के कई इलाकों के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं फिर भी रोज रात में हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है। फायर लॉरी से पानी बहाने में लगे अमले के लिए यह किसी रोमांचकारी मनोरंजन से कम नहीं है। पानी बहाते समय जिस तरह से उसके पाइप और जेट से कलाबाजी का प्रदर्शन किया जाता है, वह देखते ही बनता है।

पानी की बर्बादी... तारीख - 9 जून, 2022, समय - रात 01.08 बजे, स्थान - दोबत्ती चौराहा (ज्योति होटल के सामने)।

करीब दो पखवाड़े पूर्व यह नजारा हमने भी देखा तो पत्रकारिता का कीड़े ने काट लिया। वीडियो जिले के तत्कालीन आला अफसर को साझा कर ऐसी बर्बादी को रोकने का आग्रह कर डाला। कुछ दिन तक तो पानी की बर्बादी के ऐसे नजारे देखने को नहीं मिले लेकिन व्यवस्था में बदलाव होते ही फिर वही 'ढाक के तीन पात' हो गए। अब हम जिम्मेदारों से तो कोई अपेक्षा करने से रहे लेकिन आपसे इतना जरूर कह सकते हैं कि- 'आपको पीने का पानी नहीं मिल रहा है तो यह आपकी बला से, हमें अभी सड़क और डिवाइडर धोने से मत रोकिए, क्योंकि हमारे अफसर तो इसी से खुश होते हैं।'

पानी की बर्बादी... तारीख - 9 जून, 2022, समय - रात 12.39 बजे, स्थान - शहीद चौक।