एक ग्रामसभा ऐसी भी : जिलाबदर के विरोध में आदिवासी समाज ने कलेक्ट्रेट परिसर में की ग्रामसभा, कलेक्टर ने जमीन पर बैठकर सुनी बात, जय जोहार भी की

मप्र के रतलाम जिले में आदिवासी समाजजन ने कलेक्ट्रेट परिसर में ग्रामसभा की। इसमें समाज के दो युवाओं के विरुद्ध हुई जिलाबदर की कार्रवाई निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

एक ग्रामसभा ऐसी भी : जिलाबदर के विरोध में आदिवासी समाज ने कलेक्ट्रेट परिसर में की ग्रामसभा, कलेक्टर ने जमीन पर बैठकर सुनी बात, जय जोहार भी की
कलेक्टर कार्यालय परिसर में हुई ग्रामसभा, जिलाबदल का आदेश खारिज करने की मांग का प्रस्ताव पारित।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अब तक तो ग्राम सभाएं गांव की चौपाल या पंचायत भवनों पर होती ही देखी और सुनी गई है लेकिन सोमवार को एक ग्रामसभा कलेक्टर कार्यालय परिसर में हुई। ग्रामसभा आदिवासी समाज ने की जो समाज के दो युवाओं के विरुद्ध हुई जिलाबदर की कार्रवाई के विरोध में लामबंद होकर यहां पहुंचे थे। उन्होंने कलेक्ट्रेट में ही ग्रामसभा कर जिलाबदर की कार्रवाई को अवैध ठहराते हुए उसे खारिज करने का प्रस्ताव पारित किया। जानकारी मिलने पर कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने जमीन पर बैठ कर उनकी बात सुनी और उनके साथ जय जोहार भी की। उन्होंने समाजजन को ऊपरी अदालत में अपील करने की सलाह दी।

आदिवासी समाज के युवा नेता विलेप खराड़ी और वी. पी. हारी को विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी द्वारा जिलाबदर किया गया था। इसके विरोध में सोमवार को जयस व समाज नेआओं के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आदिवासी समाजन आंबेडकर मांगिलक परिसर में एकत्र हुए। यहां से वे रैली के रूप में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। रैली में शामिल लोग 'न लोकसभा, न विधानसभा, सबसे बड़ी ग्रामसभा' और ‘जिलाबदर करना असंवेधानिक है, उसे अवलिंब निरस्त किया जाए’ जैसे नारे लिखी तख्तियां और बैनर लेकर चल रहे थे।

कलेक्ट्रेट पहुंच कर सभी वहीं जमीन पर बैठ गए। समाजसेवी दयाराम कोरकू ने कहा कि हम यहां ज्ञापन देने नहीं, ग्रामसभा करने आए हैं। इसमें जो भी निर्णय होगा, उससे प्रशासन को अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने दोनों युवाओं को गलत तरीके से जिलाबदर किया था। दोनों के खिलाफ केवल चार-पांच प्रकरण हैं, जबिक 20 से 25 प्रकरण वाले लोगों पर जिलाबदर की कार्रवाई नहीं की हुई।

जिलाबदर के विरुद्ध पारित किया प्रस्ताव, कलेक्टर को सौंपी प्रति

इसके बाद आदिवासी समाजजन ने वहीं ग्रामसभा की और जिलाबदर के आदेश के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। पारित प्रस्ताव की प्रति देने के लिए कलेक्टर को बुलाया किंतु एडीएम आर. एस. मंडलोई पहुंच गए। इस पर ग्रामीण कलेक्टर को ही बुलाने पर अड़ गए। लगभग 20 मिनट बाद कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार वहां पहुंचे और वहीं जमीन पर लोगों के बीच बैठ गए। उन्होंने मामले की जानकारी ली। उन्होंने जिलाबदर का आदेश निरस्त करवाने के लिए न्यायालय में अपील करने की सलाह दी। इसके बाद लोगों ग्रामसभा में पारित प्रस्ताव की प्रति कलेक्टर को सौंपी और प्रदर्शन समाप्त किया।

सात दिन में जवाब नहीं मिला तो हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

समाजसेवी दयाराम कोरकू ने मीडिया को बताया कि आदिवासी क्षेत्र में जल, जंगल और जमीन जैसे अधिकारों की मांग करने वाले समाज के दो बेटों पर जिलाबदर की कार्रवाई की गई है जो असंवैधानिक है। दोनों ही युवा पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के रहवासी हैं, जहां ज्यूडीशल कानून लागू नहीं होता है। जिलाबदर के आदेश असंवैधानिक हैं। इस के खिलाफ ग्रामसभा ने फैसला लिया। कलेक्टर को प्रस्ताव की प्रति देकर सात दिन में लिखित जवाब मांगा है। जवाब नहीं मिलने पर हम हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

लोगों को समझाया है कि वे ऊपरी अदालत में अपील करें

कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने मीडिया को बताया कि पूर्व में न्यायालयीन प्रक्रिया में जो जिलाबदर की कार्रवाई हुई थी, उस संबंध में लोग अपनी बात करने आए थे। उन्हें समझाया गया है कि न्यायालयीन प्रक्रिया में यदि किसी आदेश से व्यक्ति परेशान या व्यथित है तो उच्च न्यायालय ही सही रास्ता है। उसके माध्यम से वहीं अपील कर सकते हैं। न्यायालयीन प्रक्रिया न्यायालयीन प्रावधानों से ही चलती है। उन्हें यह भी समझाया है कि कलेक्टर न्यायालय की प्रक्रिया के आदेश से यदि कोई व्यथित है तो उसके लिए ऊपरी अदालत है, वहीं अपील करें।

भास्कर लाक्षाकार, कलेक्टर- रतलाम