दूर हुआ भ्रम ! इस साल 1 नवंबर को मनेगी दीपावली, ज्योतिषियों व पंडितों की बैठक में बनी सहमति, जानिए- इसे लेकर क्या दिए गए तर्क

रतलाम जिले सहित देश के अधिकांश हिस्से में इस वर्ष दीपावली 1 नवंबर को मनाई जाएगी। यह निर्णय रतलाम में हुई ज्योतिषियों और विप्र बंधुओं की वृहद बैठक में लिया गया। इसके साथ ही कार्तिक अमावस्या दो दिन रहने से लक्ष्मी पूजन के दिन को लेकर बनी भ्रम की स्थिति दूर हो गई है।

दूर हुआ भ्रम ! इस साल 1 नवंबर को मनेगी दीपावली, ज्योतिषियों व पंडितों की बैठक में बनी सहमति, जानिए- इसे लेकर क्या दिए गए तर्क
1 नवंबर 2024 को मनेगी दीपावली।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । दीपावली किस दिन मनेगी इसे लेकर निर्मित दुविधा की स्थिति दूर करने को लेकर रतलाम जिले क़े विद्वत विप्रबन्धु व ज्योतिषियों की वृहद बैठक 80 फीट रोड स्थित नारायणी पैलेस में संपन्न हुई। सिद्ध विजय पंचांग के निर्माणकर्ता डॉ. विष्णु कुमार शास्त्री के नेतृत्व में हुई बैठक में सर्वसम्मति से 1 नवंबर को दीपावली पर्व मानने पर सहमति बनी। इस संबंध में उपस्थित ज्योतिषियों और विप्र बंधुओं की देश के प्रमुख पंचांग निर्माणकर्ताओं से भी हुई।

इस पर कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन (31 अक्टूबर और 1 नवंबर) को रहेगी। ऐसे में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है कि दीपावली किस दिन मनेगी। इसे लेकर जानकारों के अपने-अपने तर्क हैं। कोई 31 दिसंबर को तो कोई 1 नवंबर को दीपावली मनाने की बात कह रहा है। इसी दुविधा और भ्रम को दूर करने के लिए जिले के ज्योतिषियों और विप्र बंधुओं ने बैठक की।

बैठक में इनसे भी हुआ विचार-विमर्श

बैठक के दौरान दूरभाष पर ज्योतिषाचार्य स्वामी बजरंग गिरी जी महाराज, ज्योतिषी रमेश पंड्या (श्री कालचक्र पंचांग), ज्योतिषी भागीरथ जोशी (भादवामाता पंचांग) सहित राजस्थान और गुजरात के अलावा भारत के अन्य विद्वान ज्योतिषियों से वृहद चर्चा की गई। सभी से विस्तारपूर्वक चर्चा के बाद सभी में 1 नवंबर को ही दीपावली मनाए जाने को लेकर सहमति बनी। बता दें कि, शासकीय संस्कृत महाविद्यालय व वाराणसी में जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र जी सरस्वती के नेतृत्व हुई बैठक में भी 1 नंबर को ही दीपावली पर्व मनाने को शास्त्रीय प्रमाण के रूप में स्वीकृति दी गई है।

इसलिए 1 नवंबर को होगा लक्ष्मी पूजन

डॉ. विष्णु कुमार शास्त्री ने बताया कि 31 अक्टूबर को दिन में 3:52 बजे से कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ हो रही है। यह दूसरे दिन 1 नवंबर को सूर्यास्त (5:45 बजे) के बाद 6:17 बजे तक रहेगी। "धर्मसिंधु" व "तिथि निर्णय" के अंतर्गत यदि प्रदोष काल दो दिन हो (जैसा कि इस बार 31 अक्टूब व 1 नवंबर को है) और अमावस्या प्रदोष काल में व्याप्त स्पर्श करे तो महालक्ष्मी पूजन दूसरे दिन के प्रदोष काल में ही करना चाहिए। धर्म शास्त्रों का भी यह मत है। डॉ. शास्त्री के अनुसार कुछ स्थूल सौर गणित पंचांगों में लंबे समय से सुधार नहीं होने के कारण बार-बार तिथि-त्योहारों को लेकर संशय की स्थिति निर्मित होती है। जबकि वेधशाला से सिद्ध प्रमाणित सूक्ष्म दृश्य गणितयुत पंचांग शास्त्रोक्त विधि अनुसार पूर्ण रूप से सही है।

अधिकतर पंचांगों में 1 नवंबर की दीपावली

पं. शास्त्री के अनुसार भारत के कुछ पंचांगों को छोड़कर सर्वाधिक पंचांगों में 1 नवंबर को ही दीपावली पर्व मनाने के बारे में लिखा है। इनमें मार्तण्ड, दाते, कालचक्र, विक्रमादित्य, महाराष्ट्रियन, निर्णय सागर, श्रीधर शिवलाल, श्री शिवशक्ति, श्री बुद्धेश्वर, भादवामाता, बद्रीकाशी, पुष्पांजलि, कालचक्र, दिवाकर संदेश, प्रत्यक्ष, ब्रजभूमि, पप्पी, श्रीचण्डमार्तंड एवं श्री व्यास पंचांग (गुजरात) सहित भारत क़े 70 से अधिक पंचांग शामिल हैं। इन सभी में 1 नवंबर को ही दीपमालिका (दीपावली) पर्व मनाना शास्त्रीय प्रमाण रूप में दर्ज है।

किसी दिन कौन सा त्योहार मनेगा 

29 अक्टूबर – धनतेरस

30 अक्टूबर – धन्वंतरि जयंती

31 अक्टूबर – रूप चतुर्दशी

1 नवंबर – दीपावली (लक्ष्मी पूजन)

2 नवंबर - गोवर्धन पूजा

3 नवंबर - भाई दूज

ये उपस्थित रहे बैठक में

इस बैठक में वैदिक जाग्रति ज्ञान-विज्ञान पीठ, ज्योतिष शिक्षण जनकल्याण समिति व अखिल भारतीय पुजारी संघ के विद्वत आचार्य सहित महर्षि संजय शिवशंकर दवे, पं. अशोक कुमार वशिष्ठ, पं. जीवन पाठक (जड़वासा), पं. ओमप्रकाश शर्मा, पं. चेतन शर्मा, पं. मुकेश शर्मा (पुजारी संघ अध्यक्ष), पं. संजय मिश्रा, पं. राजेश व्यास, पं. सोमेश शर्मा, पं. अभिषेक गिरी, पं. जितेंद्र नागर (सैलाना) पं. ईश्वर व्यास उपस्थित रहे।