प्याज पर बवाल : चुनाव से पहले किसानों में उबाल, आंदोलन पर उतरे और कृषि मंडियों में जड़ दिया ताला, नीलामी बंद

प्याज पर निर्यात शुल्क बढ़ने से नाराज किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। उन्होंने मंडी में नीलामी बंद कर दी है।

प्याज पर बवाल : चुनाव से पहले किसानों में उबाल, आंदोलन पर उतरे और कृषि मंडियों में जड़ दिया ताला, नीलामी बंद
प्याज पर निर्यात शुल्क बढ़ाने पर आंदोलनरत किसान।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । प्याज केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात शुल्क पर 40 फीसदी शुल्क लगाए जाने से किसान आक्रोशित हो गए हं। प्याज की पैदावार करने वाले किसानों ने विरोध स्वरूप मंडियों में ताले जड़ कर नीलामी ही बंद कर दी है। चुनाव से ठीक पहले प्याज पर छिड़े इस बवाल ने अचानक ही राजनीति भी गरमा दी है। किसानों ने शुल्क वास नहीं होने तक चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है।  

पहले किसान आंदोलन का असर रतलाम में नहीं पड़ा था किंतु केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात शुल्क में वृद्धि करने से किसान भड़क गए हैं। बढ़ा हुए निर्यात शुल्क को लेकर केंद्र सरकार वित्त मंत्रालय द्वारा गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। इसके अनुसार यह 31 दिसंबर, 2023 तक लागू रहेगा। इससे नाराज किसानों का कहना है कि 40% शुल्क लगाए जाने से प्याज की कीमतों में 10 से 12 रुपए प्रति किलो तक की गिरावट आई है। रतलाम में किसान आंदोलन पर उतर गए हैं और जिले की मंडियों में नीलामी ही बंद करवा दी है।

रतलाम स्थित कृषि उपज मंडी में पूर्व रतलाम जिला कांग्रेस की अध्यक्ष कोमल धुर्वे, जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश पाटीदार, संगठन महामंत्री ब्रजेश चौधरी, श्रवण पाटिदार (रूपाखेड़ा), बापू सिंह, मुकेश गुर्जर, यूसुफ खान, संजय रावल, दशरथ भाभर, थावर भूरिया, वेद पाटीदार, यशवंत पाटीदार, थावर पाटीदार, ईश्वर भाभर सहित बड़ी संख्या में किसानों ने धरना देकर प्रदर्शन किया।

2800 रुपए प्रति क्विंटल का प्याज 1600 पर पहुंचा

किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने निर्यात शुल्क 40 फीसदी करने से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका तर्क है कि दो दिन पहले तक जो प्याज 2700 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल रहा था, उसी के अब बमुश्किल 1600 रुपए मिल रहे हैं। इसी से नाराज होकर किसानों द्वारा आंदोलन करने का ऐलान कर दिया था जिस पर मंगलवार को अमल भी शुरू हो गया। किसानों का कहना है कि जब तक निर्यात शुल्क की वृद्धि हटाई नहीं जाती है तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगी।

सत्ताधारी दल के नेताओं की बढ़ी चिंता

इसी साल मध्यप्रदेश में चुनाव होना है। चुनाव से महज कुछ दिन पहले की गई शुल्क वृद्धि से नाराज हुए किसानों का रुख देख कर सत्ताधारी दल भाजपा के स्थानीय नेताओं की चिंता बढ़ गई है। उनका मानना है कि कहीं किसानों की यह नाराजगी चुनाव परिणाम प्रभावित न कर दे। दरअसल, इस चिंता की मूल वजह कांग्रेस द्वारा किसानों की इस नाराजगी और आंदोलन को हवा देना है। चुनाव प्रचार में जुटे कई नेता अचानक ही किसानों की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं।