'सुनें-सुनाएं' का चौथा सोपान 8 जनवरी को, तो आइए और शहर में पढ़ने, मिलने, बैठने, सुनने और सुनाने की परंपरा को सार्थक बनाएं

पढ़ने, मिलने, बैठने, सुनने और सुनाने की परंपरा आगे बढ़ाने के लिए तीन माह से सुनें-सुनाएं का आयोजन किया जा रहा है। इस रविवार को चौथा सोपान होगा।

'सुनें-सुनाएं' का चौथा सोपान 8 जनवरी को, तो आइए और शहर में पढ़ने, मिलने, बैठने, सुनने और सुनाने की परंपरा को सार्थक बनाएं
सुनें-सुनाएं... एक परंपरा पढ़ने, सुनने, सुनाने, साथ बैठने की।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । हमारे दौर की संवादहीनता और रचनाशीलता के प्रति कम होती प्रवृत्ति को नया आयाम देने के उद्देश्य से शहर में रचनात्मक आयोजन "सुनें-सुनाएं" की शुरुआत की गई है। एक रचनात्मक वातावरण एवं लोगों के बीच स्वस्थ संवाद की परंपरा को कायम करने के उद्देश्य से प्रारंभ इस रचनात्मक आयोजन का चौथा सोपान 8 जनवरी रविवार को सुबह 11 बजे रतलाम प्रेस क्लब (प्रथम तल), पावर हाऊस रोड़ (रिलायंस पेट्रोल पंप के सामने), रतलाम पर होगा।

आयोजन में कोई भी व्यक्ति अपनी रचना नहीं पढ़ेगा। अपने प्रिय रचनाकार की कोई रचना ही पढ़ेगा। कार्यक्रम निर्धारित समय पर शुरू हो कर तय समय पर समाप्त होगा। कार्यक्रम की अवधि एक घंटा (सुबह 11.00 से दोपहर 12.00 बजे) तय है। इसमें 45 मिनट (सुबह 11.00 से 11.45 ) में रचनाओं का पाठ होगा। बाकी 15 मिनट उन पर सार्थक विमर्श होगा। सनद रहे कि, आयोजन में कोई भी अपनी रचना नहीं पढ़ते हुए अपने प्रिय रचनाकार की रचना वह भी बगैर किसी भूमिका के पढ़ता है।

ये करेंगे रचना पाठ लेकिन अपनी नहीं, अपने प्रिय रचनाकार की

चौथे सोपान में जुझार सिंह भाटी द्वारा सुरेश प्रवासी की कविता का पाठ किया जाएगा। उमेश कुमार शर्मा डॉ. अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिऔध" की कविता "फूल और काँटा" का पाठ करेंगे।

श्याम सुन्दर भाटी व्यंग्य कवि सुरेन्द्र शर्मा की कविता का पाठ करेंगे। महावीर वर्मा जनकवि पाश की कविता का पाठ करेंगे। नरेन्द्र सिंह पंवार द्वारा कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयकुमार 'जलज' की कविता 'किसे पता है किस बादल में' का पाठ किया जाएगा। समय शेष रहने पर रविन्द्रनाथ टैगोर की कहानी 'तोता' का पाठ भी होगा।

'सुनें-सुनाएं' ने शहर के सभी सुधिजनों से आग्रह किया है कि आयोजन में अपनी उपस्थिति के माध्यम से शहर में पढ़ने, मिलने, बैठने, सुनने और सुनाने की इस परंपरा को सार्थक बनाएं।