गोष्ठी : युवा कथाकार आशीष दशोत्तर की कहानी ‘नेमप्लेट’ समय के सच को बड़े कैनवास पर लाती है- प्रो. रतन चौहान
जनवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने युवा कथाकार आशीष दशोत्तर की कहानी नेमप्लेट को व्यक्तियों की बदलती प्रवृत्ति प्रमाणित करने वाला बताया।
जनवादी लेखक संघ ने किया गोष्ठी का आयोजन, कथाकार आशीष दशोत्तर ने किया कहानी पाठ
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । युवा कथाकार आशीष दशोत्तर की कहानी समय के सच को बड़े कैनवास पर लाती है। न सिर्फ़ शिक्षा जगत बल्कि समाज के हर क्षेत्र में आज के दौर ने व्यापक परिवर्तन किए हैं। पूंजी का प्रभाव जब से जीवन में शामिल हुआ है, मनुष्य की प्रवृत्तियां बदल गई हैं। इसी प्रवृत्ति को आशीष की कहानी उजागर करती है।
उक्त विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित कथा गोष्ठी में वरिष्ठ अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने व्यक्त किए। कथाकार आशीष दशोत्तर ने गोष्ठी में अपनी लंबी कहानी "नेमप्लेट" का पाठ किया। यह कहानी मनुष्य के पद, प्रतिष्ठा और प्रभाव के कारण बदलती प्रवृत्तियों को लेकर है। इस कहानी में मुख्य पात्र अपनी नेमप्लेट से इतना प्रभावित होता है कि वह अपने किरदार को भी इसके पीछे रख देता है। अपने घर परिवार को भी अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ता है। इस तरह वह कूपमण्डूक हो जाता है।
कहानी पर अपनी राय रखते हुए सिद्दीक़ रतलामी ने कहा कि समाज के हर क्षेत्र में पतन हुआ है। यह कहानी उसी की ओर इशारा करती है। इस कहानी में जो चरित्र उभर कर सामने आए हैं वे सिर्फ़ चरित्र ही नहीं हैं बल्कि उसके ज़रिए कई इशारे भी दिए गए हैं। यह कहानी विसंगतियों के समय में हमारे मूल्यों को स्थापित करने का संदेश देती कहानी है।
कवि पद्माकर पागे ने कहा कि कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है इसकी रोचकता बढ़ती जाती है। इस कहानी में कहीं भी यह नहीं महसूस होता कि विषय भटक रहा है। कीर्ति शर्मा ने समकालीन कहानीकारों में आशीष दशोत्तर की कहानी को महत्वपूर्ण निरूपित किया। गोष्ठी में जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर, मांगीलाल नगावत, गीता राठौर सहित उपस्थितजनों ने भी अपनी राय व्यक्त की। आभार प्रदर्शन जितेंद्र सिंह ‘पथिक’ ने किया।