पं. दिनेश जोशी... जीते जी आयुर्वेद से लोगों को जीवनदान दिया, कई वर्ष पहले देहदान की वसीयत भी लिख दी ताकि मरने के बाद भी काम आ सकें

आयुर्वेदाचार्य एवं आयुर्वेद महासम्मेलन के संभागीय उपाध्यक्ष दिनेश जोशी का गत दिवस निधन हो गया। उनकी लिखित वसीयत अनुसीर परिवार ने उनका अंगदान कराया।

पं. दिनेश जोशी... जीते जी आयुर्वेद से लोगों को जीवनदान दिया, कई वर्ष पहले देहदान की वसीयत भी लिख दी ताकि मरने के बाद भी काम आ सकें
पं. दिनेश जोशी।

परिजन ने पूरा किया आयुर्वेद महासम्मेलन के प्रांतीय उपाध्यक्ष का संकल्प

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भारतीय इतिहास' में दानी तो कई हुए, किंतु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियां दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे। असुरों के संहार के लिए महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया था। आज दधीचि जैसे तपस्वी भले ही न हों लेकिन जन कल्याण के लिए अपना शरीर दान करने वाले कई हैं। रतलाम निवासी आयुर्वेद महासम्मेलन के प्रांतीय उपाध्यक्ष पं. दिनेश जोशी ऐसा ही एक नाम है जिन्होंने जीते जी लोगों को आयुर्वेदिक औषधियों से जीवनदान दिया। उन्होंने परिवार को एक लिखित वसीयत भी सौंपी अपने अंगदान की, ताकि वे मरने के बाद भी चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के काम आ सकें। 

आयुर्वेद महासम्मेलन के प्रांतीय उपाध्यक्ष रतलाम के श्रीमाली वास निवासी पं. जोशी का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। अपने आयुर्वेद ज्ञान के माध्यम से ताउम्र नर नारयण की सेवा करने वाले पं. जोशी ने कई वर्ष पहले ही अंगदान की वसीयत लिख दी थी। यह वसीयत एक संकल्प पत्र था जो उन्होंने पत्नी प्रभा जोशी की सहमति से 22 जनवरी 2019 को खुद पं. जोशी ने रतलाम के शासकीय महाविद्यालय के मानव संरचना विभाग के प्रभारी राजेंद्र सिंगरौले को दिया था।

पं. जोशी कहते थे, कि- यह शरीर पंचतत्व से बना है और मरने के बाद उसी में मिल जाएगा। मैं यूं ही मिट्टी में नहीं मिल जाना चाहता। मेरी इच्छा है कि मैं मरने के बाद भी मानव कल्याण के काम आ सकूं। परिजन से कहा था- मैं दुनिया से विदा लूं तब इस वसीयत के अनुसार मेरा शरीर चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के प्रैक्टकल के लिए सौंप देना। परिवार ने ऐसा ही किया।

श्मशान की जगह चिकित्सा महाविद्यालय पहुंची अंतिम यात्रा 

शुक्रवार सुबह डॉ. दिनेश जोशी की अंतिम यात्रा उनके संकल्प के अनुसार उनके घर से निकली। पं. जोशी के अनुज वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी, दामाद नीलेश शुक्ला, भतीजे नीतेश जोशी (बड़नगर), संजय जोशी (मुंबई) सहित परिवारजन, पत्रकार, चिकित्सक आदि मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता, अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रदीप मिश्रा, सीएमओ विनय शर्मा, मानव संरचना विभाग प्रभारी राजेंद्र सिंगरौले, डॉ. विजय चौहान एवं संभागीय अंगदान प्राधिकार समिति सदस्य गोविंद काकानी की उपस्थिति में उनका पार्थिव शरीर विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए चिकित्सा महाविद्यालय को सौंप दिया गया। पं. जोशी की लिखित वसीयत अनुसर उनके संकल्प को पूरा करने के लिए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. गुप्ता ने परिजन को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया।