आजीवन कारावास ! मना करने पर भी पत्नी चली जाती थी मजदूरी करने, इसलिए पति ने कुल्हाड़ी से कर दी थी हत्या

तृतीय सत्र न्यायाधीश बरखा दिनकर ने 14 माह पुराने एक हत्याकांड में एक हत्यारे पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

आजीवन कारावास ! मना करने पर भी पत्नी चली जाती थी मजदूरी करने, इसलिए पति ने कुल्हाड़ी से कर दी थी हत्या
रतलाम में हत्यारे पति को हुई आजीवन कारावास की सजा।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । बार-बार मना करने पर भी पत्नी ने मजदूरी करने जाना बंद नहीं किया तो नाराज पति ने कुल्हाड़ी से उसकी हत्या कर दी थी। करीब 14 महीने पूर्व हुई इस घटना में तृतीय सत्र न्यायाधीश बरखा दिनकर ने दोषी पति आजीवन कारावास की सजा चुनाई है। प्रकरण में पुत्र सहित चार साक्षी पक्षद्रोही होने से न्यायालय ने साक्ष्य के आधार पर फैसला सुनाया।

अपर लोक अभियोजक एवं शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने बताया कि घटना सैलाना थाना अंतर्गत ग्राम डोकरिया कुंड की है। दिनांक 14 जून 2024 को सुबह 4:00 बजे आरोपी प्रभु भगोरा पिता देवा भगोरा (50) ने अपनी पत्नी सुंदरबाई की कुल्हाड़ी से हत्या की थी। मृतका के पुत्र सत्यनारायण ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। उसने बताया था कि पिता आरोपी प्रभु भगोरा ने मोबाइल पर उसे बताया था कि मां सुंदरबाई उसके बार-बार मना करने के बावजूद मजदूरी करने के लिए बाहर चली जाती है। इस बात को लेकर दोनों का झगड़ा हो गया था।

सत्यानारायण ने पुलिस को बताया था कि झगड़े के दौरान मां सुंदरबाई ने प्रभु के गाल में काट लिया था। इससे नाराज प्रभु ने घर में रखी कुल्हाड़ी के हत्थे से सुंदरबाई के सिर पर व दोनों पैरों पर वार किया था। इससे गंभीर चोट आने से सुंदरबाई की मृत्यु हो गई थी। इसी आधार पर पुलिस  ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में प्रकरण दर्ज किया था।

चिकित्सकीय साक्ष्य बनी आधार

अभिभाभषक त्रिपाठी ने बताया कि मामले में अभियोजन द्वारा कुल 12 साक्षी के कथन करवाए गए थे। इनमें मृतका के पुत्र सहित चार अन्य साक्षी पक्षद्रोही घोषित हुए। चूंकि पोस्टमार्टम में मृतका के शरीर पर 11 प्रकार की चोट पाई गई थी जो उसके घटना वाले दिन की ही थी। इसे अभियोजन द्वारा प्रमाणित करवाया गया। डॉक्टर ने मृत्यु का कारण शरीर पर चोट आना बताया था। विचारण के पश्चात न्यायालय ने आरोपी प्रभु को दोषसिद्ध मानते हुए आजीवन सश्रम कारावास एवं ₹5000 के अर्थदंड की सजा सुनाई। शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने की।