ताल की पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष श्वेता पितलिया आर्थिक अनियमितता के मामले में दोषी करार, 2 साल नहीं लड़ सकेंगी कोई चुनाव
मप्र शासन ने ताल नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष श्वेता पितलिया पर दो साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाई है। उन्होंने आर्थिक अनियमितता का दोषी पाया गया है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भाजपा नेत्री और ताल नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष श्वेता संजय (बंटी) पितलिया को आर्थिक अनियमितता के मामले में दोषी पाया गया है। वे दो वर्ष तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगी। उन्होंने मप्र शासन के नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराया है।
मध्य प्रदेश शासन के नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। यह आदेश ताल की पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष श्वेता संजय (बंटी) पितलिया पर लगे आर्थिक अनियमतता आरोप के संबंध में हैं। मंत्रालय के अपर सचिव भरत यादव के हस्ताक्षर से जारी आदेश में शासन द्वारा स्पष्ट किया गया है कि ताल की तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष श्वेता पितलिया मप्र नगर पालिक अधिनियम 1961 की धारा 51 में वर्णित अध्यक्ष कर्त्तव्य एवं शक्तियों तथा दायित्वों के विधि अनुसाल पालन करने में विफल रही हैं। अतः श्वेता पितलिया को एक्त की धारा 35-क में प्रदत्त शक्तियों के तहत आगामी 2 वर्ष के लिए निर्वाचन से निरर्हरित किया जाता है।
अधिकार से अधिक राशि की दे दी वित्तीय स्वीकृति
शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार वर्ष 2015-15 में व्यक्तिगत शौचालय निर्माण कार्य हेतु 53.04 लाख रुपए अनुमानित लागत का प्राक्कलन तैयार किया गया था। इसके एवज में तत्कालीन परिषद द्वारा स्वीकृत निविदा दर पर 5.61 प्रतिशत एसओआर से कम राशि 50.64 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई थी। नियमानुसार नगर पालिका प्रेसिडेंट इन काउंसिल नियम 1998 के नियम 5 के अंतर्गत दिए प्रावधान के अनुसार परिषद को सिर्फ 50 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृति देने का ही अधिकार है। इससे अधिक की राशि की स्वीकृति का अधिकार नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग आयुक्त को है। इसके उलट तत्कालीन ताल नगर परिषद ने इससे ज्यादा राशि की वित्तीय स्वीकृति दी। यह नगर पालिका अधनियम के प्रावधानों के विपरीत है।
बिना स्वीकृति के कर ली बाहरी स्रोत से खरीदी
पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष पितलिया पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में वर्ष 2018-19 में जैम पोर्टल के बजाय पृथक से सामग्री कृय की गई। जबकि शासन के नियमानुसार खरीदी जैम पोर्टल से ही करनी है। यदि बाहरी स्रोत से खरीदी करनी भी है तो उसके लिए सक्षम माध्यम से अनुमति लेना जरूरी है। जांच में यह आरोप भी सही पाया गया कि तत्कालीन नगर परिषद द्वारा बिना सक्षम स्वीकृति के बाहरी स्रोत से खरीदी की गई।
संयुक्त संचालक ने की थी जांच, विभागीय सुनवाई में साबित हुईं दोषी
उक्त मामले की जांच नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग उज्जैन के संयुक्त संचालक द्वारा कराई की थी। इसमें ताल नगर परिषद के तत्कालीन अधिकारियों के साथ ही परिषद अध्यक्ष श्वेता पितलिया को भी जिम्मेदार पाया। इसके चलते अधिकारियों के साथ ही पितलिया को भी आरोप पत्र जारी किए गए थे लेकिन उन्होंने प्रतिवाद प्रस्तुत नहीं किया। इसके चलते विभाग द्वारा उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया जिसका उत्तर 9 अगस्त 2021 को प्रस्तुत किया गया। मामले में 30 सितंबर 2021 को सुनवाई नियत हुई। इस दिन तत्कालीन अध्यक्ष श्वेता पितलिया द्वारा प्रतिवाद उत्तर के अलावा अन्य किसी भी प्रकार का साक्ष्य प्रस्तुत करने से इनकार कर दिया। वे अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित करने में भी असफल रहीं जिसके चलते शासन ने उन्हें 2 साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिया है।
विधानसभा में भी उठा था मामला
श्वेता संजय (बंटी) पितलिया 17 जनवरी 2015 से 4 जनवरी 2020 तक रतलाम जिले की ताल नगर परिषद की अध्यक्ष रहीं। उनके कार्यकाल में निर्माण कार्य और सामग्री क्रय करने में अनियमितता बरतने को लेकर दिसंबर 2019 में हुए विधानसभा सत्र के दौरान मामला उठा था। बता दें, श्वेता पितलिया के पति संजय पितलिया भी भाजपा में पदाधिकारी हैं।