कांग्रेस कार्यकर्ता तरुण जैन की गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर, सुनवाई शुरू होने से पहले ही छोड़ा
रतलाम के कांग्रेस कार्यकर्ता तरुण जैन की गिरफ्तारी के विरुद्ध मप्र हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर हुई है। मामले में आज न्यायालय ने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की गुहार लगाई जाएगी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता तरुण जैन ‘पोहावाला’ को गिरफ्तार किए जाने के विरुद्ध मप्र हाईकोर्ट में बंदी प्रत्याक्षीकरण याचिका दायर की गई है। इस पर बुधवार को सुनवाई नियत गई है। इसकी भनक लगत ही जैन को जेल से रिहा भी कर दिया गया। अब याचिकाकर्ता की ओर से न्यायलय के समक्ष पुलिस और प्रशासन के विरुद्ध कार्रवाई की गुहार लगाई जाएगी।
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में तरुण जैन के भाई रजत चौहान द्वारा एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका WP 10556/2023 दिनांक 02/03/2023 को लगभग 4:30 पर अपने अधिवक्ता नंदलाल तिवारी एवं रोहित शर्मा के माध्यम से प्रस्तुत की गई। इसकी एक प्रति याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय इंदौर में भी प्रस्तुत की गई। याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि प्रशासन ने उसके भाई को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार कर जेल में निरुद्ध कर दिया। इस प्रक्रिया में कानून का पालन भी नहीं किया गया। कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक को इस संदर्भ में लिखित शिकायत करने के बाद भी उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह उसके भाई की अवैध गिरफ्तारी पर सुनवाई करे।
आज नियत है सुनवाई
न्यायालय द्वारा उक्त याचिका पर 03/05/2023 को डिवीजन बेंच के समक्ष सीरियल नम्बर 64 पर सुनवाई हेतु नियत की गई है। बताया जा रहा है कि जैसे ही इस याचिका के बारे में जिला मुख्यालय पर खबर आई तो तीन दिन से जेल में निरुद्ध तरुण जैन को रिहा कर दिया गया। बता दें कि सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनकर टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा प्रदर्शन कर शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके चलते तरुण को पुलिस ने गिरफ्तार कर अनुविभागीय अधिकारी न्यायालय में पेश किया था। जहां से उन्हें जेल में निरुद्ध किया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से यह की जाएगी गुहार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पारस सकलेचा का आरोप है कि प्रशासन भाजपा के एजेंटे के रूप में काम कर रहा है। तरुण जैन के विरुद्ध दर्ज किया गया केस झूठा और बेबुनिया है। जब पुलिस और प्रशासन ने कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई कार्रवाई को लेकर शिकायत किए जाने के बाद भी सुनवाई नहीं की गई तो पीड़ित परिवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करना पड़ी। सकलेचा के अनुसार न्यायालय ने सुनवाई के लिए दिन नियत कर दिया है। अतः याचिकाकर्ता द्वारा न्यायालय से झूठा प्रकरण दर्ज करने के मामले में जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए गुहार लगाई जाएगी।