Dr Subbarao on Ventilator : जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती गांधीवादी विचारक डॉ. सुब्बराव को देर शाम आया अटैक, हालत नाजुक

Dr Subbarao on Ventilator : जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में मंगलवार देर शाम पड़ा दिल का दौरा। हालत नाजुक। वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।

Dr Subbarao on Ventilator : जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती गांधीवादी विचारक डॉ. सुब्बराव को देर शाम आया अटैक, हालत नाजुक
डॉ. एस. एन. सुब्बाराव

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को अस्पताल जाकर जानी थी कुशलक्षेम

जयपुर @ एसीएन टाइम्स . प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी व गांधीवादी चिंतक पद्मश्री डॉ. एस. एन. सुब्बराव जयपुर से सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं। आईसीयू में भर्ती सुब्बाराव की तबीयत मंगलवार शाम ज्यादा खराब हो गई। दिल का दौरा पड़ने से उनकी हालक नाजुक बताई गई है। डॉक्टरों ने उन्होंने वेंटिलेटर (Dr Subbarao on Ventilator) पर रखा है।

Dr Subbarao on ventilator
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती गांधीवादी विचारक डॉ. एस. एस. सुब्बाराव की कुशलक्षेम जानते राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।

डॉ. सुब्बाराव ‘भाई जी’ के नाम से भी जाने जाते हैं। भाई जी वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में सहभागी भी रहे हैं। वे कई दिन से जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं। मंगलवार को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। इससे पहले शनिवार को ही राजस्‍थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डॉ. सुब्बाराव से मिलने सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंचे थे और उनकी कुशलक्षेम जानी थी। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति में सुधार बताया था लेकिन मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से उनकी स्थिति नाजुक (Dr. Subbarao on Ventilator) हो गई।  

6 दशक से लगा रहे हैं युवाओं के लिए रचनात्मक शिविर

गांधीवादी व्यवक्तित्व डॉ. सुब्बाराव की उम्र भरे ही 93 वर्ष हो लेकिन जोश-जज्बे से वे युवा ही हैं। वे विगत 6 दशक से युवा शविरों का आयोजन कर रहे हैं जो उल्लेखनीय कार्य है। इन शिविरों में युवाओं को अनेकता में एकता, संस्कार और संस्कृति जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताते हैं।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल गए, 600 से अधिक डकैतों से आत्मसमर्पण करवाया

भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के दौरान वे वे जेल भी जा चुके हैं। वे उन लोगों में से एक हैं जिन्हें प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और के. कामराज जैसे कद्दावर नेताओं के साथ काम करने का मौका भी मिला। उन्होंने चंबल के जौरा में 1954 में 10 महीने तक गांधी आश्रम का संचालन भी किया था। यह पहला आश्रम था। इसी आश्रम के बूते पर डॉ. सुब्बाराव ने 1972 में मोहनसिंह और माधोसिंह सहित 600 से ज्यादा डकैतों का आत्मसमर्पण करवाया था। इन्हीं कारणों से वे विदेशों में काफी लोकप्रिय हैं।