न्यायालय का फैसला : संत रविदास चौराहा से करमदी तक फोरलेन निर्माण पर लगी रोक हटी, अपीलीय न्यायालय ने कहा- सड़क निर्माण विधि विरुद्ध नहीं
रतलाम के संत रविदास चौराहा से करमदी तक फोरलेन के निर्माण पर विचरण न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को अपर जिला न्यायालय द्वारा हटा दिया गया है। न्यायालय ने आदेश में कहा है कि रोक महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रखे बिना ही लगाई गई थी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । संत रविदास चौराहा से करमदी तक फोरलेन के निर्माण पर प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड मुग्धा कुमार द्वारा लगाई गई रोक को द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश ने आशीष श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया है। अपर जिला न्यायधीश ने शासन के पक्ष में फैसला देते हुए कहा है कि सड़क निर्माण पर रोक से सार्वजनिक हित प्रभावित होता है।
अपर शासकीय अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने बताया अभियोजन के अनुसार करमदी निवासी नागूलाल पिता रामलाल वाघेला ने संत रविदास चौराहा से करमदी तक फोरलेन के निर्माण पर रोक लगाने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड मुग्धा कुमार ने उक्त याचिका को स्वीकार कर 6 नवंबर 2023 को पारित आदेश द्वारा निर्माण कार्य पर अस्थायी रोक लगा दी थी। यह रोक शासन को एक पक्षीय करते हुए लगाई गई थी। इस निर्णय के खिलाफ शासन द्वारा द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश आशीष श्रीवास्तव के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई थी।
तथ्य पर विचार किए बिना लगाई गई थी रोक
शासन की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश श्रीवास्तव ने अपने आदेश में लिखा कि शासन द्वारा सार्वजनिक हित में फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य विधिवत किया जा रहा है। इसमें आपत्ति लेने का नागूलाल वाघेला को अधिकार नहीं है। सड़क निर्माण कार्य रोके जाने से आम जनता को निश्चित रूप से हानि होगी। विचरण न्यायालय के द्वारा उक्त तथ्य पर विचार किए बिना निर्माण पर रोक लगाई गई है।
निर्माण विधि विरुद्ध होना स्पष्ट नहीं
अपर जिला न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि प्रस्तावित फोरलेन सड़क आम जनता की सुविधा की दृष्टि से प्रस्तावित की गई है। इसमें व्यक्ति विशेष का हित नहीं होकर सार्वजनिक हित निहित होते हैं। शासन के द्वारा नियमानुसार प्रशासकीय स्वीकृति लोक निर्माण विभाग को जारी की गई है। प्रस्तावित सड़क का निर्माण विधि विरुद्ध रूप से किया जाना प्रकट नहीं होता है। शासन की अपील स्वीकार की गई। शासन की ओर से पैरवी अपर शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी द्वारा की गई।