डोरी पर गुब्बारे से बने रॉकेट को दौड़ाकर सीखा न्यूटन का नियम, संवेग संरक्षण का कॉन्सेप्ट भी जाना

विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर द्वारा विज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें विद्यार्थियों ने खुद प्रयोग करके संवेग, उर्जा संरक्षण और न्यूटन का नियम समझा।

डोरी पर गुब्बारे से बने रॉकेट को दौड़ाकर सीखा न्यूटन का नियम, संवेग संरक्षण का कॉन्सेप्ट भी जाना
गजेंद्र सर की वर्कऑप में खुद प्रयोग कर सीखते विद्यार्थी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर (गजेंद्र सर) के मार्गदर्शन में विद्यार्थी विज्ञान विषय से दूर भागने के बजाय, उससे दोस्ती कर रहे हैं। रविवार को 30 विद्यार्थियों ने विज्ञान आधारित कॉन्सेप्ट जाने और समझे। इस दौरान उन्होंने न्यूटन का नियम समझने के लिए खुद ही डोरी पर गुब्बारे से बना रॉकेट दौड़ाया। संवेग संरक्षण के कॉन्सेप्ट को भी समझा। 

विज्ञान विषय दूर से तो विष्मयकारी लगता है लेकिन जब उसे नजदीक से जानते हैं तो वह दोस्त बन जाता है। विज्ञान और विद्यार्थियों के बीच ऐसी दोस्ती कायम करने के प्रयास में विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर (गजेंद्र सर) लगे हुए हैं। उनके मार्गदर्शन में विद्यार्थी विज्ञान से जुड़े कॉन्सेप्ट को खुद करके सीख रहे हैं। रविवार को इस शिक्षण सत्र की दूसरी विज्ञान वर्कशॉप आयोजित हुई। इसमें विद्यार्थियों ने स्वयं ही डोरी पर गुब्बारे का रॉकेट बनाया और उसे मनचाही जगह भेजकर न्यूटन के नियम और संवेग संरक्षण के कॉन्सेप्ट को समझा। विज्ञान संचारक राठौर के मार्गदर्शन में 30 से अधिक स्कूली विद्यार्थियों ने कक्षा 6 से 11 तक के विज्ञान आधारित ज्ञान को स्वयं मॉडल बनाकर, गतिविधि करके सीखा। दोनों माध्यमों के 30 में से 12 विद्यार्थियों ने दूसरी बार कार्यशाला में भाग लिया।

किस तरह के किए प्रयोग

खारे पानी में तैरने और घनत्व का संबंध, हैंड पम्प का लंबा हत्था रखने के फायदे पर क्रियात्मक मॉडल द्वारा समझ, वायु दाब के नए और प्रचलित प्रयोग, संवेग और कोणीय संवेग के कॉंन्सेप्ट पर मॉडल आधारित गतिविधि, दाब की अवधारणा, द्रव्यमान और भार, रसायनों पर आधारित साइंस, न्यूटन के नियम आदि कई कॉन्सेप्ट पर विद्यार्थियों ने नवक्रियात्मक रूप से स्वयं करके देखें।

कम या शून्य लागत से की गतिविधियां

प्रयोग की समस्त सामग्री या तो कम लागत की थीं या शून्य लागत की घरेलू सामग्री। गुब्बारे, धागा, स्ट्रॉ, कांच के ग्लास, कीप, प्लास्टिक की अनुपयोगी बॉटल आदि सामग्री का उपयोग कार्यशाला में किया गया।

इस सत्र में दूसरी कार्यशाला, आगे भी जारी रहेगी

आयोजक गजेंद्र सर ने बताया कि जारी सत्र में गर्मियों में तीन दिवसीय कार्यशाला की गई थी, इसी कड़ी में यह दूसरी कार्यशाला थी। आगामी छुट्टी के दिनों में भी इनका क्रम जारी रखा जाएगा। इनमें कक्षा 6 से 11 तक का कोई भी विद्यार्थी गूगल लिंक के द्वारा फॉर्म भरकर चयन आधार पर नि:शुल्क जुड़ सकता है। चयन गूगल फॉर्म में साइंस अभिरुचि के पूछे गए प्रश्नों के आधार पर किया जाता है।

विद्यार्थियों ने सुनाए अनुभव

कार्यशाला में दूसरी बार शामिल हो रहे विद्यार्थी कुबेर पारा बताते हैं कि हर बार नए कॉन्सेप्ट सीखने को मिलते हैं। इस बार सूचक आधारित रसायन के प्रयोग ने रोमांचित कर दिया। प्रतिभागी छात्र आवेश ने कहा कि रॉकेट के सिद्धांत को समझने का अवसर एक्टिविटी से मिला। अंग्रेजी माध्यम के छात्र अनंत शुक्ला ने संवेग और ऊर्जा संरक्षण पर आधारित प्रयोग को मजेदार बताया।