खास खबर : जानिए, कौन है CBI और ED के रडार में आया घोटालेबाज उद्योगपति कैलाश चंद्र गर्ग और रतलाम से क्या है इसका नाता
सीबीआई और अब ईडी के रडार में आए नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कैलाश गर्ग और उसके सहयोगी के करतूतों के बारे में जानने के लिए यह खबर पढ़ें और यह भी जाने कि इसका रतलाम से क्या नाता है।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । बैंकों को चूना लगाने वाले तेल कारोबारी कैलाश चंद्र गर्ग के पीछे सीबीआई और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) हाथ धोकर पड़ी है। ईडी ने हाल ही में इसकी मध्य प्रदेश के तीन और महाराष्ट्र के एक जिले में स्थित 34 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। वर्तमान में चार बड़ी फर्मों के डायरेक्टर और करोड़ों के घोटालेबाज कैलाश चंद्र का रतलाम से गहरा नाता है। इसके संबंध यहां के जमीनों के जादूगरों से भी काफी नजदीक के बताए जाते हैं।
अभी तक तो सभी यही जानते हैं कि कैलाश चंद्र गर्ग का रतलाम जिले से सिर्फ कारोबारी नाता है वह भी जावरा से। जबकि सूत्र बताते हैं कि इसकी नजदीकी रतलामी जमीनों के बड़े जादूगरों से भी हैं। इसमें एक बड़ा नाम रेलवे के कबाड़ से अरबों में खेलकर भू-माफिया बने व्यक्ति का भी बताया जा रहा है। उक्त व्यक्ति की पार्टनरशिप शहर के ही एक बड़े और (कु)ख्यात भू-माफिया के साथ भी है। कहने वाले कह रहे हैं कि जमीनों की जादूगरी के खेल में इनके संबंध चोर-चोर मौसेरे भाइयों वाले हैं। चर्चा है कि गर्ग का एक ठिकाना रतलाम के सुंदरवन इलाके में भी है।
इन चार कंपनियों में डायरेक्टर है गर्ग
बैंक घोटाले और फर्जीवाड़े का आरोपी कैलाश चंद्र गर्ग नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है। इस कंपनी का पंजीकृत कार्यालय 5 धानमंडी मंदसौर में स्थित है। इस कंपनी में डायरेक्टर की जिम्मेदारी गर्ग को 29 सितंबर 2000 में मिली थी। इससे पहले कंपनी के डायरेक्टर सुरेशचंद्र गर्ग थे। कैलाश चंद्र को 2 फरवरी 2010 को श्री अम्बिका सॉल्वेक्स लिमिटेड, 30 सितंबर 2010 में रामकृष्ण सॉल्वेक्स प्राइवेट लिमिटेड तथा 29 जून 2023 को बीबीपीएस ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर बनाया गया था। वर्तमान में कैलाश चंद्र गर्ग इन चारों फर्मों में डायरेक्टर है। इसके अलावा जमीनों के खेल में भी गर्ग शामिल है।
ऐसी हैं करतूतें
काला धन ऐसे होता था सफेद
सीबीआई को जांच में गर्ग और इनके सहयोगियों द्वारा काला धन सफेद करने के सबूत भी मिले। आरोप है कि इन्होंने बैंक लोन घोटाले के करोड़ों रुपए विदेश भेजने के साथ ही काले धन को सफेद करने के लिए विभिन्न कंपनियों में घुमाकर लाभ लिया। जानकारी के अनुसार कैलाश गर्ग ने अपने परिवार के सुरेश गर्ग के साथ मिलकर अपनी ही कंपनी मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया कंपनी मंदसौर के नाम से यूके बैंक की अगुवाई वाले तीन बैंकों के कंर्सोटियम से 110.50 करोड़ रुपए का लोन लिया। बाद में इस रुपए को गर्ग परिवार ने नारायण ट्रेडिंग, रामकृष्ण सॉलवेक्स, पद्मावती ट्रेडिंग, वर्धमान सॉलवेक्स और अंबिका सॉलवेक्स नाम की अपनी ही सोया इंडस्ट्री में ट्रांसफर किया।
बिक चुके प्लॉट बैंक में बंधक रख ले लिया 110 करोड़ का लोन
कंपनियों में घूमते रहे पैसे को जमीनों में निवेश किया गया। इसमें सैटेलाइट हिल्स कॉलोनी भी शामिल है। इसके लिए एवलांच रियाल्टी नाम की कंपनी भी बनाई गई थी। इसमें रीतेश ‘चंपू’ अजमेरा व उसकी पत्नी योगिता अजमेरा को डायरेक्टर बनाए गए। इस कॉलोनी के बिक चुके प्लॉट ही बैंकों में बंधक रख कर 110.50 करोड़ से अधिक लोन लोन ले लिया गया। यह लोन अम्बिका सॉल्वेक्स द्वारा लिया गया था। गर्ग परिवार को बैंकों द्वारा दिए गए ऋण की अदायगी उनके द्वारा नहीं की जा रही है। बैंक 4 करोड़ रुपए भी नहीं वसूल पाई है। इस मामले में सीबीआई द्वारा केस दर्ज किया जा चुका है।
लोग प्लॉट के लिए हो रहे परेशान
गर्ग और अजमेरा के सताए लोगों में सैटेलाइट हिल्स के अलावा फिनिक्स व अन्य कॉलोनियों में भूखंड खरीदने के लिए निवेश करने वाले भी शामिल हैं। इन्हें अब तक भूखंड नहीं मिल सके हैं। मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट की एक कमेटी कर रही है। बता दें कि, कॉलोनी के प्लॉट बेचने को लेकर चंपू अजमेरा और कैलाश चंद्र गर्ग के बीच विवाद भी हो चुका है। नौबत यहां तक आ चुकी है कि पूर्व में न्यायालयीन कार्रवाई के दौरान कैलाश चंद्र ने चंपू को न सिर्फ गालियां दी, बल्कि उसे मारने तक दौड़ा था।
100 करोड़ रुपए का शराब घोटाला भी कर डाला
गर्ग और इनके गुर्गों ने नाम पर शराब घोटाला भी दर्ज है। 2018 में जब दिल्ली का शराब घोटाला उजागर हुआ था तब मध्य प्रदेश के इंदौर में शराब चालान घोटाला उजागर हुआ था जो आबकारी अफसरों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया था। पता चला था कि 2015 से 2018 के बीच 194 चालानों में गड़बड़ी की गई और हजारों के चालानों को लाखों रुपए का बनाकर उतनी शराब गोदामों से उठाकर बेच डाली थी। एक अनुमान के अनुसार इस मामले में लगभग 100 करोड़ रुपए की गड़बड़ी हुई थी। हालांकि, बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया लेकिन अब ईडी ने आबकारी आयुक्त से 5 सवालों में जानकारी तलब की है।