भारत के खिलाफ काम करने वाली 747 वेबसाइट और 94 यूट्यूब चैनल पर लगी रोक, आईटीएक्ट 2000 की धारा 69A के तहत की कार्रवाई

भारत सरकार द्वारा 747 और 94 यूट्यूब चैनलों के संचालन पर रोक लगाई है। इसके अलावा 19 सोशल मीडिया एकाउंट के विरुद्ध भी कार्रवाई की गई। सरकार का कहना है कि ये सभी देश के खिलाफ काम कर रहे थे।

भारत के खिलाफ काम करने वाली 747 वेबसाइट और 94 यूट्यूब चैनल पर लगी रोक, आईटीएक्ट 2000 की धारा 69A के तहत की कार्रवाई
वेबसाइट और यूट्यूब चैनल प्रतिबंधित।

केंद्रीय मंत्री सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्य सभा में दी जानकारी

एसीएन टाइम्स @ नई दिल्ली । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के अनुसार मंत्रालय द्वारा बीते एक साल के दौरान 747 वेबसाइट और तथा 94 यूट्यूब चैनलों के विरुद्ध कार्रवाई की गई। इनके अलावा 19 सोशल मीडिया एकाउंट पर भी रोक लगाई गई। मंत्री ठाकुर के अनुसार इनके द्वारा देशहित के खिलाफ काम किया जा रहा था।

केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने गुरुवार को राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया 2021-22 में मंत्रालय ने देशहित के खिलाफ काम करने वाले यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। ठाकुर ने कहा कि मंत्रालय ने 94 यूट्यूब चैनलों, 19 सोशल मीडिया अकाउंट और 747 यूआरएल पर रोक लगाई गई। यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69ए के तहत की गई है।

मंत्री ठाकुर के अनुसार कि सरकार ने फर्जी खबरें फैलाकर और इंटरनेट पर दुष्प्रचार करके देश की संप्रभुता के खिलाफ काम करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।

अक्टूबर 2000 से लागू है एक्ट

बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 भारतीय संसद द्वारा 9 जून 2000 को पारित किया गया था। इस बिल को तत्कालीन सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री प्रमोद महाजन ने संसद में पेश किया था। देश में यह यह 17 अक्टूबर 2000 से लागू है।

जानिए, क्या है सेक्शन 69A

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 के सेक्शन 69A के तहत केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त है। यह प्राथमिक कानून है जो भारत में साइबर अपराध और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के ममलों से निपटने के लिए लागू किया गया था।

यह है एक्ट में प्रावधान

  1. सोशल मीडिया और किसी अन्य वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करना। गृह मंत्रालय ने 20 दिसंबर, 2018 को एक आदेश जारी किया था। इसमें दस केंद्रीय एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया कि वे किसी भी कंप्यूटर में एकत्रित सामग्री को मॉनिटर करें, प्रसारित होने से रोकें और जरूरी होने पर डिकोड करें।
  2. भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, भारत की रक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने अथवा इन सबको नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने का भी प्रावधान है।
  3. जिन वेबसाइट को जनता के लिए ब्लॉक किया जाएगा उन्हें पूरी प्रक्रिया और नियमों के तहत ही ब्लॉक किया जाएगा और अन्य सुरक्षा उपायों का भी ध्यान रखा जाएगा।
  4. जारी दिशा-निर्देशों (उपधारा 1) का अनुपालन करने में विफल रहने वाले संबंधित अधिकारियों को सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना होगा।
  5. कुछ राजनीतिक दलों ने निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन के आधार पर इस एक्ट को चुनौती दी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में दिए गए निर्णय में आरोप को खारिज कर दिया था।
  6. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र एक इंटरनेट साइट को ब्लॉक करने के निर्देश (राष्ट्रीय सुरक्षा इत्यादि से सम्बंधित मामलों में) जारी करने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यक्तिगत निजता से ऊपर है।
  7. जैसा कि हम जानते हैं कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम - 1885 केंद्र सरकार को फोन टैप करने की अनुमति देता है। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में एक फैसला दिया था और कहा था कि सरकार केवल "सार्वजनिक आपातकाल" के मामले में फोन टैप कर सकती है। लेकिन आईटी एक्ट के सेक्शन 69A के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
  8. हाल ही में भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के प्रावधानों का हवाला देते हुए 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्र सरकार ने पाया था कि ये ऐप भारत के लोगों का गोपनीय डेटा इकठ्ठा कर रहे थे।
  9. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 A, देश में साइबर अपराध रोकने के साथ ही देश की महत्वपूर्ण जानकारी का विदेशी शक्तियों द्वारा दुरुपयोग रोकने की दिशा में कारगर है।