5 सदस्यीय कमेटी करेगी पं. डॉ. शिवशक्तिलाल शर्मा आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र की आत्महत्या को लेकर लगे आरोपों की जांच
डॉ. शिवशक्तिलाल शर्मा आयुर्वेदिक महाविद्यालय के स्टूडेंट की आत्महत्या के मामले को लेकर स्टूडेंट व एबीवीपी ने कॉलेज प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने छात्र की आत्महत्या के लिए प्रबंधन द्वारा आर्थिक शोषण और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। घटना की जांच के लिए कलेक्टर ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है।
घटना को लेकर स्टूडेंट और विद्यार्थी परिषद ने चक्काजाम कर जांच की मांग को लेकर सौंपा था ज्ञापन
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । डॉ. शिवशक्तिलाल शर्मा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जांच कर कलेक्टर को प्रतिवेदन सौंपेगी। कमेटी का गठन एबीवीपी और कॉलेज के छात्रों द्वारा चक्काजाम और धरना प्रदर्शन कर सौंपे गए ज्ञापन में की गई मांग के चलते किया गया है।
कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के अनुमोदन से पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला आयुष अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। कमेटी गठन की सूचना प्रशासन द्वारा उज्जैन संभाग के आयुक्त को भी भेजी गई है। पत्र में बताया गया है कि पं. डॉ. शिवशक्तिलाल शर्मा आयुर्वेदिक महाविद्यालय बंजली के छात्रों द्वारा एक ज्ञान सौंपा गया है। इसमें बताया गया है कि महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र संदीप परमार द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर आत्महत्या की गई है। ज्ञापन में मामले की जांच की मांग की गई है। अतः महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों को मानसिक प्रताड़ना देने एवं आर्थिक शोषण किए जाने के आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए उक्त समिति का गठन किया गया है।
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गौरतलब है कि शनिवार को पं. डॉ. शिवशक्तिलाल शर्मा आयुर्वेदिक महाविद्यालय बंजली के बीएएमएस के छात्र संदीप परमार (24) का शव उसके किराये के कमरे में फांसे के फंदे पर लटका मिला था। परिजन ने आत्महत्या की वजह कॉलेज प्रबंधन की ओर से मानसिक प्रताड़ना और आर्थिक शोषण बताई गई है। घटना से नाराज कॉलेज के स्टूडेंट्स ने एबीवीपी के साथ रविवार को शहर के सैलाना बस स्टैंड चौराहे पर चक्काजाम कर धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान अधिकारियों व पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने।
प्रदर्शनकारियों ने अपर कलेक्टर एम. एल. आर्य को ज्ञान सौंपकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। ज्ञापन के साथ उन्होंने सुसाइड नोट सहित शिक्षा मंत्री को लिखा गया पत्र तथा औद्योगिक क्षेत्र थाने में की गई दो पेज की शिकायत की प्रतिलिपि भी सौंपी। शिकायती पत्र में कॉलेज स्टूडेंट्स ने प्रबंधन, संचालन व चिकित्सकों पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
मृतक छात्र के बड़े भाई ने यह लगाया आरोप
आत्महत्या करने वाले छात्र संदीप के बड़े भाई मुकेश परमार ने मीडिया को बताया कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा अतिरिक्त शुल्क के रूप में 1.50 लाख रुपए की मांग की थी। इससे 8 दिन से संदीप मानसिक रूप से काफी परेशान था। उसने अपनी परेशानी के बारे में बताया था। मुकेश ने संचालक और उनके पुत्र सहित अन्य पर प्रताड़ित करने और धमकाने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी संदीप के दोस्त से मिली जिसने उसका एक्सीडेंट होने की जानकारी दी थी। कॉलेज प्रबंधन और पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी। हमें जब जिला अस्पताल पहुंचे तो प्रबंधन के लोग वहां भी धमकाने के लिए पहुंच गए थे। यही उन्होंने हमारा होटल तक भी पीछा किया लेकिन हमारे पास कई लोग और पुलिस होने से वे कुछ नहीं कर सके।
यह आरोपों की मौन स्वीकृति तो नहीं ?
एसीएन टाइम्स ने पूरे घटनाक्रम को लेकर महाविद्यालय के संचालक और प्रबंधन से पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने ऐसा करना जरूरी नहीं समझा। आधिकारिक रूप से पक्ष नहीं रखने से प्रदर्शनकारियों और मृतक छात्र के परिजन द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर प्रबंधन की स्वीकार्यता नजर आती है।