‘सुनें सुनाएं’ : खुद से बात करो, मुस्कुराओ, निर्रथक बातों पे ठहाके लगाओ, पहले पेड़ काटो फिर रोपने की एक्टिंग करो
सुनें सुनाएं का नौवां सोपान रविवार को संपन्न हुआ। इसमें रचनाधर्मियों ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाएं पढ़ीं। इनके माध्यम से सुख-दुख का सामना हंसते और मुस्कुराते हुए करने का संदेश दिया तो पर्यावरण की दुर्दशा पर कटाक्ष भी किया।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । 'सुनें सुनाएं' आयोजन ने शहर के रचनात्मक वातावरण को गति प्रदान की है। यह मंतव्य ‘सुनें सुनाएं’ के नौवें सोपान में उपस्थित रचनाकारों द्वारा व्यक्त किया गया। रचनाशील और सृजनात्मक वातावरण बनाने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए इस कार्यक्रम का नौवां सोपान रविवार को जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर हुआ।
इस आयोजन में उपस्थितजन ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया। रचना पाठ के तहत मनकामेश्वर जोशी द्वारा स्व. पीरूलाल बादल की रचना 'अगम रा झूला पिछ्म जाय' का पाठ, यशपाल सिंह तंवर द्वारा स्वयं प्रकाश उपाध्याय की रचना 'दृष्टि से सृष्टि की ओर' का पाठ, आशा श्रीवास्तव द्वारा प्रो. अज़हर हाशमी की रचना 'मध्य प्रदेश बहुत ही सुंदर' का पाठ, संजय बाफना द्वारा नायाब मिड्ढा की रचना 'मुस्कुराओ' का पाठ, डॉ. श्वेता विंचुरकर द्वारा कवि प्रदीप की रचना 'कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो' का पाठ किया।
इसके अलावा नीरज कुमार शुक्ला ने पर्यावरण दिवस के मद्देनजर व्यंग्य ‘आओ वृक्षारोपण की एक्टिंग करें’, महावीर वर्मा ने एक रोचक पत्र पढ़ा।
रचनाओं का पाठ कर विभिन्न रचनाओं पर सार्थक विमर्श भी किया गया। आयोजन में रचनात्मक सोच के पथिक मौजूद रहे।