सत्य विज्ञान फाउण्डेशन रतलाम को देगा ‘सुख-धाम’ की सौगात, मुख्य वक्ता भंसाली बोले- अंधेरे को भेदने के लिए एकाग्रता जरूरी, विधायक काश्यप ने रतलाम की जनता सर्वग्राही-सर्वस्पर्शी बताया

सत्य विज्ञान फाउंडेशन ने रतलाम सुख-धाम की स्थापना का संकल्प लिया है। इसके लिए फाउण्डेशन द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता वल्लभ भंसाली ने एकाग्रता का महत्व समझाया। वहीं विधायक चेतन्य काश्यप ने रतलाम की जनता को सर्वग्राही बताया।

सत्य विज्ञान फाउण्डेशन रतलाम को देगा ‘सुख-धाम’ की सौगात, मुख्य वक्ता भंसाली बोले- अंधेरे को भेदने के लिए एकाग्रता जरूरी, विधायक काश्यप ने रतलाम की जनता सर्वग्राही-सर्वस्पर्शी बताया
परिचर्चा को संबोधित करते सत्य विज्ञान फाउण्डेशन मुम्बई के फाउण्डर व मुख्य वक्ता वल्लभ भंसाली।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अंधेरे को भेदने के लिए एकाग्रता जरूरी है। भीतर जाने का कार्य ही सत्य है। उसी में शांति है और यही शक्ति पूंज है, जिसे ‘सुख-धाम’ सार्थक करेगा।

यह बात सत्य विज्ञान फाउण्डेशन मुम्बई के फाउण्डर व मुख्य वक्ता वल्लभ भंसाली ने कही। वे सैलाना रोड स्थित श्रीजी पैलेस में फाउण्डेशन द्वारा सुख-धाम की स्थापना को लेकर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए कही। आयोजन बाजना रोड स्थित पर्यावरण पार्क के सामने सत्य विज्ञान फाउण्डेशन मुम्बई द्वारा सत्य, शांति व शक्ति के केन्द्र के रूप में ‘सुख-धाम’ की स्थापना के चलते किया गया था। परिचर्चा की अध्यक्षता विधायक चेतन्य काश्यप ने की।

भंसाली ने कहा कि जिस प्रकार एक अच्छी तस्वीर के लिए कैमरे पर कैमरामेन के हाथ स्थिर रखना जरूरी होते हैं, उसी प्रकार खुद पर नियंत्रण के लिए स्थिरता जरूरी है। यह स्थिरता ही एकाग्रता है। मनुष्य को सदैव महसूस होता है कि उसके पास कोई न कोई अभाव है और इस अभाव की पूर्ति के लिए वह कुछ न कुछ करता रहता है। फिर भी अभाव की पूर्ति नहीं हो पाती है। एकाग्रता वह रामबाण है, जिससे सारे अभावों को पूर्ण किया जा सकता है।

जितना सुख देने में मिलता है उतना लेने में नहीं

भंसाली ने कहा कि प्रकृति ने हमें जो दिया है, हमारे मन में उससे सवाया उसे देने की प्रवृत्ति होनी चाहिए, लेकिन मनुष्य प्रकृति की सौगातों को अपना समझता है और उनका दोहन करता रहता है। इस प्रवृत्ति को बदलना होगा और प्रकृति को अपना न समझते हुए उससे मिलने वाले अंश से अधिक लौटाने की मनोवृत्ति विकसित करनी पड़ेगी। भंसाली ने कहा कि जितना सुख लेने में नहीं मिलता उतना देने में होता है। ‘सुख-धाम’ की परिकल्पना इसी उददेश्य को पूरा करने के लिए की गई है।

शहर ही नहीं, शहरवासियों का भी सर्वांगीण विकास होगा- डॉ. जलज

विशेष अतिथि भाषाविद् एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयकुमार जलज ने कहा कि रतलाम का सौभाग्य है कि मुम्बई में बैठा व्यक्ति यहां के लोग कैसे सुखी हो, इसकी कल्पना कर रहा है। सुख का चिंतन व्यक्ति घर पर भी कर सकता है, लेकिन दूसरों के लिए करने की भावना मानवीय इच्छा है और यही व्यक्ति को सबसे से अलग बनाती है। उन्होंने रतलाम के विकास में विधायक चेतन्य काश्यप के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से शहर ही नहीं, शहरवासियों का सर्वांगीण विकास हो रहा है।

हमारी संस्कृति में यम, नियम व आसन का विशेष महत्व है- काश्यप

परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए विधायक काश्यप ने कहा कि रतलाम की जनता सर्वग्राही एवं सर्वस्पर्शी हैं। वर्तमान में सर्वत्र एकाग्रता देने वाले ‘सुख-धाम’ की जरूरत है। उन्होंने कहा ‘सुख-धाम’ की कल्पना एक लम्बी प्रक्रिया का हिस्सा है। खुद के भीतर जाने की प्रक्रिया व्यक्ति कही भी कर सकता है, लेकिन इसके लिए स्थापत्य की अपनी महत्ता है। हमारी संस्कृति में यम, नियम एवं आसन आदि का विशिष्ट महत्व है। इनके आचरण से व्यक्ति अति चेतन्यता की स्थिति को प्राप्त कर सकता है। सामान्यतः यह प्रयोग जीवनशैली बदलने के काम आते हैं, जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अतिप्रासंगिक हो गए है। काश्यप ने कहा कि मनुष्य का मूल स्वभाव सामूहिकता है। घर पर भी ये कार्य हो सकता है, लेकिन स्थापत्य होगा, तो उसका सुकून अलग मिलेगा। काश्यप ने ‘सुख-धाम’ की स्थापना के कार्य में पूरा सहयोग देने की घोषणा की।

महंत गणेशपुरी जी ने रतलाम सेवाएं देने की घोषणा की

परिचर्चा के दौरान मुख्य वक्ता भंसाली ने उपस्थितजनों को ध्यान भी कराया। राजस्थान से आए महन्त गणेशपुरीजी ने रतलाम में बनने वाले ‘सुख-धाम’ में सेवाएं देने की घोषणा की। परिचर्चा के आरंभ में संयोजक मुकेश जैन ने विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया। आभार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने माना।