हाल-ए-मेडिकल कॉलेज : सभी लिफ्ट बंद, स्ट्रेचर पर कबूतरों की बीट, इसलिए मरीजों को पैदल चलकर पहुंचना पड़ा वार्डों तक, देखें वीडियो
एक ओर रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज और यहां के अस्पताल को पूरी क्षमता से शुरू करने की कवायद जारी है लेकिन यहां मौजूदा सुविधाओं का संचालन भी ठीक से नहीं हो पा रहा है। लिफ्ट और स्ट्रेचर जैसी सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में भी अव्यवस्था देखने को मिल रही है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सरकारी मेडिकल कॉलेज यहां के प्रबंधन की अनदेखी का शिकार है। यहां लगभग सभी लिफ्ट बंद हैं जिससे मरीजों को एक फ्लोर से दूसरे पर पहुंचने में परेशानी हो रही है। समय पर ढंग के स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो पाते हैं जिससे चल-फिर सकने में असाध्य मरीजों को पैदल ही वार्ड तक पहुंचना पड़ता है। बावजूद कॉलेज के जिम्मेदार व्यवस्थाओं की खामी को स्वीकार करने के बजाय उन पर पर्दा डालने के लिए प्रयासरत हैं।
60 के दशक में देखा गया रतलाम में मेडिकल कॉलेज का सपना कुछ वर्ष पूर्व पूरा हो सका। शहर विधायक चेतन्य काश्यप की सक्रियता और व्यक्तिगत प्रयासों के चलते मेडिकल कॉलेज की स्थापना को गति मिली। उनके ही प्रयासों से इसकी मान्यता के आड़े आ रही तकनीकी अड़चनें भी दूर हो सकीं। पहले कोराना काल में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए इसे जरूरी इंतजाम के साथ खोला गया। बाद में ओपीडी भी शुरू कर दी गई। अब इसे पूरी क्षमता से शुरू करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। हाल ही में यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विधायक काश्यप ने इसकी जानकारी दी थी लेकिन कॉलेज प्रबंधन के रवैये से नहीं लगता कि वह इसे लेकर गंभीर है। इसकी बानगी गत दिवस देखने को मिल गई।
मेडिकल कॉलेज पहुंचे मरीज और उनके सेवादारों को यहां की लगभग सभी लिफ्ट बंद मिलीं। इससे उन मरीजों और बुजुर्गों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा, खासकर उन मरीजों को जो चल-फिर नहीं सकते। ऐसे में सेवादारों ने स्ट्रेचर की मांग की तो गंदे ही थाम दिए गए। स्ट्रेचर पर कबूतरों की बीट (मल) पड़ी होने से मरीजों ने पैदल ही एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर और वार्ड में जाना उचित समझा। हालांकि ऐसा करने पर उन्हें तकलीफ झेलना पड़ी। दरअसल ओपीडी ऊपरी मंजिल पर होने से वहां तक पहुंचना मरीजों की मजबूरी है। लिफ्ट नहीं चलने से मरीजों को दूसरी मंजिल तक भी पैदल ही चलकर जाना पड़ा। सबसे ज्यादा वे मरीज परेशान हुए जिनके घुटनों में दर्द की शिकायत है या जो बुजुर्ग हैं।
प्रबंधन की सफाई को झुठला रहा वीडियो
एक मरीज के सेवादार ने लिफ्ट बंद व स्ट्रेचर गंदे होने की जानकारी मेडिकल कॉलेज के डीन. डॉ. जितेंद्र गुप्ता को दी। डॉ. गुप्ता ने दोनों ही समस्याओं को सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था कि लिफ्ट चालू हैं और स्ट्रेचर पर कबूतर की बीट नहीं बल्कि रंगरोगन से पहले दीवारों पर की गई पुट्टी है। डीन की बात को उक्त सेवादार द्वारा बनाए गए वीडियो झुठलाने के लिए काफी हैं।
बजट की कमी भी है अव्यवस्था व काम में अरुचि की वजह
मेडिकल कॉलेज से सूत्रों का कहना है कि अव्यवस्थाओं की मुख्य वजह बजट है। बताया जा रहा है कि सरकार ने मेडिकल कॉलेज शुरू तो करवा दिया लेकिन समय पर डॉक्टरों और स्टाफ को वेतन नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि व्यवस्थाओं को सुचारु रखने में उनकी रुचि कम ही रहती है। बता दें कि वेतन-भत्तों का समय पर भुगतान नहीं होने से पूर्व में स्टाफ कई बार आंदोलन कर चुका है।
24 घंटे में भी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए डीन
लिफ्ट बंद होने के बारे में डीन डॉ. गुप्ता का पक्ष चाहा गया लेकिन उन्होंने स्थिति स्पष्ट करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। यहां तक कि वे 24 घंटे बाद भी जवाब नहीं दे सके।