सपने ज़िंदा रहें, नई ज़मीन, नया आकाश सभी को मिले की संकल्प को सार्थक साबित करता ‘सुनें-सुनाएं’, ... क्योंकि ‘दिया जलाना, जलाकर रखना कमाल है’

‘सुनें-सुनाएं’ चौथे सोपान से होकर पांचवें पर बढ़ चला है। अगले सोपान में आप भी आइये, मिल-बैठ कर सुनें और सुनाएं।

सपने ज़िंदा रहें, नई ज़मीन, नया आकाश सभी को मिले की संकल्प को सार्थक साबित करता ‘सुनें-सुनाएं’, ... क्योंकि ‘दिया जलाना, जलाकर रखना कमाल है’
'सुनें-सुनाएं' के मंच पर अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करते हुए साहित्यप्रेमी।

‘सुनें-सुनाएं’ के चौथे रचनात्मक आयोजन में रतलाम प्रेस क्लब भी बना सहभागी

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सबसे ख़तरनाक होता है सपनों का मर जाना। हमारे सपने ज़िंदा रहें। रचनात्मकता को नई ज़मीन मिले । नए आसमान में नए पंखों के साथ शहर का साहित्यिक वातावरण विचरण करे। इसी भावना के साथ 'सुनें-सुनाएं' का चौथा रचनात्मक आयोजन रतलाम प्रेस क्लब के सहयोग से प्रेस क्लब भवन में आयोजित किया गया।

आयोजन में उपस्थित सुधिजनों ने अपनी पसंद के रचनाकारों की रचनाओं का पाठ कर शहर की समृद्ध साहित्यिक एवं रचनात्मक परंपरा को आगे बढ़ाने की आशा व्यक्त की। रचना पाठ आयोजन के दौरान जुझार सिंह भाटी ने स्व. सुरेश प्रवासी के गीत की प्रस्तुति देकर कर समाज में वृद्धजनों की स्थिति बयां की। उमेश कुमार शर्मा ने अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचना का पाठ किया। श्याम सुंदर भाटी ने हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा की कविता हुबहू अंदाज़ में पेश की। नरेंद्र सिंह पंवार ने डॉ. जयकुमार जलज की कविता 'किसे पता है किस बादल में कितनी क्षमता...' का सस्वर पाठ किया।

महावीर वर्मा ने अवतार सिंह ‘पाश’ की कविता 'सबसे ख़तरनाक होता है सपनों का मर जाना...' का पाठ कर रचनात्मक वातावरण की आवश्यकता की भावना का संचार किया। कैलाश व्यास ने गोपालदास नीरज की रचनाओं के पाठ के साथ उनसे जुड़े संस्मरण भी प्रस्तुत किए। विष्णु बैरागी ने नरेंद्र दुबे की व्यंग्य रचना 'फूफा जी पर निबंध' का पाठ किया। विनोद झालानी ने रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता प्रस्तुत की। आशीष दशोत्तर ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी 'तोता' का पाठ किया।

सुधिजन बोले- हर आयोजन में नए लोग अपने प्रिय रचनाकार की रचना पढ़े रहे, यह सुखद है

आयोजन में अपनी पसंद के रचनाकारों की रचनाओं का पाठ करने का उद्देश्य यही रहा कि इस आयोजन के माध्यम से शहर के सुधि श्रोता एक साथ बैठें और शहर के रचनात्मक वातावरण को आगे बढ़ाएं। रचना विमर्श में डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, ओमप्रकाश मिश्रा, दुष्यंत व्यास, पद्माकर पागे, सविता तिवारी, विनोद संघवी, राजेंद्र चतुर्वेदी, प्रेस क्लब अध्यक्ष मुकेश पुरी गोस्वामी, नीरज शुक्ला, हेमंत भट्ट, हरीश दर्शन शर्मा, सिकंदर, हेमंत बाफना, सतीश गोथरवाल, नरेंद्र सिंह डोडिया, महेंद्र सिंह डोडिया, नरेंद्र सिंह राठौर, प्रकाश मिश्रा, आरपीएस राठौर, प्रतिभा चांदनीवाला, सुशीला कोठारी ने शिरकत की। सभी ने कहा कि सुनें-सुनाएं के हर आयोजन में नए लोग उपस्थित होकर अपने प्रिय कवि की रचनाएं पढ़ रहे हैं, यह सुखद है। शहर की रचनात्मकता को इससे नया जीवन मिलेगा और पठन-पाठन में जुटे लोग अपनी अभिव्यक्ति इस आयोजन के माध्यम से कर सकेंगे। आयोजन में सुधिजन उपस्थित थे।

रतलाम प्रेस क्लब ने डॉ. चांदनीवाला एवं दशोत्तर का सम्मान किया

रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष मुकेश पुरी गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार हेमंत भट्ट, नीरज शुक्ला, हरीश दर्शन शर्मा एवं उपस्थित सदस्यों ने साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा हाल ही में सम्मानित साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला एवं आशीष दशोत्तर का प्रेस क्लब की ओर से सम्मान किया।

उन्होंने कहा कि रतलाम के लिए यह गर्व का विषय है कि यहां के साहित्यकारों को प्रदेश और देश स्तर पर सम्मानित किया जा रहा है। इस दौरान उपस्थित सुधिजनों ने दोनों साहित्यकारों को अपनी शुभकामनाएं प्रदान की।

सुनें-सुनाएं का महत्वपूर्ण पहलू

सुनें-सुनाएं चार सोपान चढ़ चुका है और अगले सोपान की ओर बढ़ चला है। अगले माह पांचवां सोपान होगा। अब तक के सभी हर सोपान में नए लोग जुड़ रहे हैं जो इस आयोजन का उद्देश्य है। आयोजन का सबसे प्रबल पहलू है समय पालन जो अब इसकी सफलता की गारंटी बनता प्रतीत हो रहा है। ना शुरू होने में एक सेकंड इधर से उधर और ना ही समापन में समय पालन की प्रतिबद्धता बाधित होती है। सच है, ‘हवा की ज़द में दिया जलाना और जलाकर रखना कमाल है...।’